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शतचंडी महायज्ञ में रामकथा सुन श्रद्धालु मंत्रमुग्ध

ग्राम सभा चंदुआर-घरसड़ी में मोहन ब्रम्ह बाबा (पहाड़ी) स्थित प्रांगण में 27 फरवरी से आयोजित दस दिवसीय शतचंडी महायज्ञ व संगीतमयी श्रीराम कथा में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है। गुरुवार को कथावाचक भागवताचार्य बाल ब्यास आराधना चतुर्वेदी ने रामचरित मानस के विभिन्न प्रसंगों पर बड़े ही म

By JagranEdited By: Published: Fri, 31 Jan 2020 06:15 PM (IST)Updated: Fri, 31 Jan 2020 06:15 PM (IST)
शतचंडी महायज्ञ में रामकथा सुन श्रद्धालु मंत्रमुग्ध
शतचंडी महायज्ञ में रामकथा सुन श्रद्धालु मंत्रमुग्ध

जासं, अनपरा (सोनभद्र) : ग्राम सभा चंदुआर-घरसड़ी में मोहन ब्रह्म बाबा (पहाड़ी) स्थित प्रांगण में 27 फरवरी से आयोजित दस दिवसीय शतचंडी महायज्ञ व संगीतमयी श्रीराम कथा में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है। गुरुवार को कथावाचक भागवताचार्य बाल व्यास आराधना चतुर्वेदी ने मानसकथा के विभिन्न प्रसंग सुनाई।

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कहा कि निर्गुण निराकार ब्रह्म त्रेता युग में अयोध्या में भगवान ने रामावतार में जन्म लिए। उन्होंने मर्यादा का पालन करते हुए सभी कार्यों का निर्वहन किया। प्रभु श्रीराम की कथा मात्र कथा नहीं है, यह ज्ञान व शिक्षा है। इसके कुछ अंशों को यदि हम अपने जीवन में उतार लें तो यह मानव जन्म धन्य हो जाएगा। भारतवर्ष सभ्यता व संस्कृति का देश है। यहां चित्र की नहीं बल्कि व्यक्ति के चरित्र की पूजा होती है। श्रीराम ने अपने चरित्रों के माध्यम से जो शिक्षा दी है उसी आधार पर उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है। कथा में नाम महिमा का वर्णन करते हुए बाल व्यास ने कहा कि इस कलियुग में नाम जप से ही भवसागर को पार किया जा सकता है। उन्होंने कथा सुनने की महिमा व सत्संग का वर्णन करते हुए श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया। कर्णप्रिय संगीत की धुन पर भगवान राम की महिमा के दोहे पर लोग झूमने पर विवश हो गये।

यज्ञाचार्य बृजराज देव पांडेय के नेतृत्व व संचालन में तमाम विद्वतजनों द्वारा दुर्गा सप्तशती के मंत्रों के उच्चारण से पूरा क्षेत्र भक्तिभाव में सराबोर हो गया है। यज्ञ का समापन पांच फरवरी को भंडारा एवं कलश विसर्जन के साथ किया जाएगा। यज्ञ को सफल बनाने में समिति के गोविन्द मिश्रा, विनोद दुबे, राजू तिवारी, दया सागर दुबे, कृपा सागर, कृष्ण कुमार, उमाकांत, सोनू तिवारी, विजेंद्र दुबे, रिकू दुबे, प्रदीप दुबे, पूर्ण मनोवेग से जुटे हुए हैं।


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