मिट्टंी के दीयों की बढ़ी खरीदारी
योहार दीपावली इस बार कुंभकारों के लिए खास होगा। ऐसा हम नहीं कुंभकारों को उम्मीद है। पालीथिन पर रोक व दीपों के महत्व को लेकर इस बार आमजन में भी जागरूकता देखी जा रही है। जिसका कारण है कि इस बार आमजन का रूख कुंभारों के यहां हो रहा है। लोगों की पसंद को देखते हुए कुंभकारों ने
जागरण संवाददाता, अनपरा (सोनभद्र) : दीपों का त्योहार दीपावली, इस बार कुम्हारों के लिए खास होगा। ऐसा हम नहीं कुंभकारों को उम्मीद है। पॉलीथिन पर रोक व दीपों के महत्व को लेकर इस बार आमजन में भी जागरूकता देखी जा रही है। जिसका कारण है कि इस बार आमजन का रूख कुम्हारों के यहां हो रहा है।
दरअसल, पॉलीथिन और प्रदूषण की मार से लोगों के अंदर मिट्टी के दीये के प्रति झुकाव बढ़ा है। लोगों की पसंद को देखते हुए कुम्हारों ने अलग-अलग प्रकार के मिट्टी के दीये बनाने का काम जोर शोर से चला रहे है। महज चार दिन बाद दीपोत्सव है। ऊपर से मौसम भी थोड़ी नासाज है इसको देखर वह परेशान तो हैं लेकिन, अच्छी बिक्री की उम्मीद को नहीं छोड़ा है। सीमित समय को देख कुंभकार अपने पूरे कुनबे के साथ दीये बनाने में लगे हुए हैं। माता लक्ष्मी के पूजन के साथ घरों पर रोशनी के लिए ज्यादातर मिट्टी के दीयों का ही प्रयोग किया जाता है। पूजन कार्य में इन्हें शुभ माना जाता है। कुम्हारों का कहना है कि पिछले वर्षों की तुलना में इस बार आमजन का रुझान दीपों की तरफ बढ़ा है, लेकिन अभी भी उम्मीद के मुताबिक बयाना नहीं मिला है। यह है दीयों के दाम डिजाइनर छोटे दीये - 100-120 रुपये सैकड़ा
सादा छोटे दीये - 50-80 रुपये सैकड़ा
सादा बड़े दीये - 60 से 80 रुपये सैकड़ा