उत्पादन क्षमता बढ़ाने को जारी है कवायद
विद्युत नीति में लगातार हो रहे परिवर्तन ने उत्तर प्रदेश राज्य उत्पादन निगम की सबसे ज्यादा ¨चता बढ़ाई है। 25 वर्ष से पुरानी इकाइयों को बंद करने की नीति से सबसे ज्यादा नुकसान उत्पादन निगम को ही होने की संभावना है। वर्ष 2022 तक पुरानी इकाइयों को बंद करने से उत्पादन निगम की क्षमता पर तगड़ा असर पड़ेगा।
जागरण संवाददाता, ओबरा (सोनभद्र) : विद्युत नीति में लगातार हो रहे परिवर्तन ने उत्तर प्रदेश राज्य उत्पादन निगम की सबसे ज्यादा ¨चता बढ़ाई है। 25 वर्ष से पुरानी इकाइयों को बंद करने की नीति से सबसे ज्यादा नुकसान उत्पादन निगम को ही होने की संभावना है। वर्ष 2022 तक पुरानी इकाइयों को बंद करने से उत्पादन निगम की क्षमता पर तगड़ा असर पड़ेगा। बहरहाल इन सबके बीच वर्ष 2018 में उत्पादन निगम की ओबरा व अनपरा सहित कई विद्युत गृहों की कुछ यूनिटें लगातार विद्युत उत्पादन करके उत्पादन लागत में 54 पैसे प्रति यूनिट की कमी लाकर सरकार को लगभग 1700 करोड़ रुपये की बचत कराकर बड़ा संदेश दिया है। ऐसे में अब उत्पादन निगम की क्षमता को बढ़ाने को लेकर जहां निगम प्रबंधन भी जुटा हुआ है वहीं कामगार संगठनों में भी उत्सुकता बढ़ती जा रही है। पांच हजार मेगावाट क्षमता बढ़ाने की कवायद
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद के विखंडन के समय से ही बिगड़ी स्थिति में चल रहे प्रदेश के विद्युत घरों की वर्तमान में चल रही विस्तारीकरण योजना से उत्पादन निगम की क्षमता में भारी वृद्धि होनी है। विस्तारीकरण के तहत ओबरा-सी में 1320 मेगावाट, हरदुआगंज में 660 मेगावाट एवं पनकी में 660 मेगावाट क्षमता की नई इकाइयां स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। 1320 मेगावाट क्षमता की ओबरा-सी का निर्माण शुरू होने के बाद उत्पादन निगम के निदेशक मंडल ने ओबरा-डी की स्वीकृति दे दी है। निदेशक मंडल ने ओबरा अ तापघर की एक से लेकर आठवीं इकाई को हटाकर उसके स्थान पर 800 मेगावाट की इकाई के स्थापना का निर्णय लिया है। निदेशक मंडल ने नई इकाई के डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने हेतु एनटीपीसी को एकल निविदा के आधार पर सलाहकार नियुक्त करने का अनुमोदन प्रदान किया है। निदेशक मंडल ने ओबरा-डी के लिए पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, भारत सरकार से अनुमति के लिए तत्काल प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया है। उत्पादन निगम के निदेशक मंडल ने अनपरा-ई में 800 मेगावाट की इकाई लगाने हेतु एनटीपीसी को एकल निविदा के आधार पर फिजिबिल्टी स्टडी कराने का अनुमोदन भी प्रदान किया है। लैंको के अधिग्रहण की मांग
भारी कर्ज तले दबे 1200 मेगावाट क्षमता की लैंको तापीय परियोजना के अधिग्रहण की मांग भी तेज होती जा रही है। उक्त परियोजना का निजी क्षेत्र से निर्माण के दौरान से ही विरोध कर रहा अभियंता संघ भी अब खुलकर सामने आ गया है। संघ ने उत्पादन निगम प्रबंधन से लैंको परियोजना के अधिग्रहण की मांग की है। चूंकि लैंको तापीय परियोजना उत्पादन निगम के अंतर्गत लगाई जानी थी। उसके लिए ही अनपरा अ और ब तापघर के निर्माण के दौरान कई कामन सुविधाएं बनायी गयीं थीं लेकिन बाद में उक्त परियोजना को लैंको को हस्तांतरित कर दिया गया था। अब जब लैंको भारी कर्ज में दब गयी है तो उसके अधिग्रहण की मांग की जा रही है। इससे उत्पादन निगम की उत्पादन क्षमता में वृद्धि होगी। इसके अलावा 1320 मेगावाट क्षमता की इलाहाबाद जिले की करछना तापीय परियोजना को राज्य विद्युत उत्पादन निगम से वापस लेकर बि¨डग के जरिये निजी क्षेत्र को सौंपने का भी तमाम कामगार संगठनों ने भारी विरोध जताया था।