अति संवेदनशील स्थानों पर अतिरिक्त फोर्स संभालेंगी सुरक्षा की कमान
जिले के विभिन्न क्षेत्रों में बुधवार को ईद-उल-अजहा यानी बकरीद का त्योहार मनाया जाएगा। इसको लेकर मुस्लिम समुदाय के लोगों ने संपूर्ण तैयारी मंगलवार की शाम तक मुकम्मल कर लिया। जगह-जगह कुर्बानी के लिए बकरों की खरीद की गई तो वहीं लोगों ने कुर्बानी देने की तैयारी को अंतिम रूप दिया। कहीं किसी तरह की अनहोनी न होने पाए इसके लिए पुलिस विभाग ने भी मुकम्मल तैयारी कर ली। अति संवेदनशील इलाकों में अतिरिक्त पुलिस कर्मियों की ड्यूटी लगायी गई है।
जागरण संवाददाता, सोनभद्र : जिले के विभिन्न क्षेत्रों में बुधवार को ईद-उल-अजहा यानी बकरीद का त्योहार मनाया जायेगा। इसको लेकर मुस्लिम समुदाय के लोगों ने संपूर्ण तैयारी मंगलवार की शाम तक मुकम्मल कर लिया। जगह-जगह कुर्बानी के लिए बकरों की खरीद की गई तो वहीं लोगों ने कुर्बानी देने की तैयारी को अंतिम रूप दिया। कहीं किसी तरह की अनहोनी न होने पाये इसके लिए पुलिस विभाग ने भी मुकम्मल तैयारी कर ली। अतिसंवेदनशील इलाकों में अतिरिक्त पुलिस कर्मियों की ड्यूटी लगायी गई है।
पुलिस विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक ईद-उल-अजहा के मौके पर जगह-जगह मुस्लिम समुदाय के लोग बकरे या अन्य जानवरों की कुर्बानी देते हैं। कुर्बानी के दौरान किसी तरह का विवाद या अनहोनी न होने पाये इसके लिए भारी पुलिस बल की तैनाती की गई है। के सभी क्षेत्राधिकारियों को मजिस्ट्रेट बनाया गया है। वे अपने-अपने सर्किल में जिम्मेदारी संभालेंगे। इसके अलावा करीब 850 पुलिस कर्मियों की ड्यूटी लगी है। एक कंपनी पीएसी में लगायी गई है। स्थानीय अभिसूचना इकाई यानी एलआइयू के लोगों को शादी वर्दी में सभी शहरों में लगा दिया गया है। जिले के पांच स्थल जिसमें दो राबर्ट्सगंज, एक पगिया, दुद्धी व घोरावल को अति संवेदनशील इलाके में चिन्हित किया गया है। यहां अतिरिक्त सुरक्षा व्यवस्था की गई है। कब मनायी जाती है बकरीद
ईद-उल-अजहा यानी बकरीद मुस्लिम समुदाय का महत्वपूर्ण त्योहार है। यह रमजान माह के करीब 70 दिन के बाद मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन बकरों की या अन्य जानवर की कुर्बानी दी जाती है। जो कि अल्लाह द्वारा मुसलमानों के लिए वाजिब माना गया है। इस्लाम में कुर्बानी देने के पीछे एक कहानी है। जिसमें अल्लाह ने अपने बेटे हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम को उसकी सबसे अजीज चीज कुर्बान करने का आदेश दिया था। हजरत इब्राहिम अपने पुत्र हजरत इस्माइल को इसी दिन अल्लाह के हुक्म पर कुर्बान करने के लिए तैयार हो होते हैं लेकिन अल्लाह उनके पुत्र को जीवनदान देते हैं और पुत्र को एक जानवर से बदल देते हैं। बस इसकी याद में यह पर्व मनाया जाता है।