खेती के लिए ठीक नहीं है मौसम का बदलता मिजाज
इन दिनों मौसम का बदलता मिजाज केवल इंसान के लिए ही नहीं बल्कि फसलों के लिए भी खतरनाक है। अगर एक सप्ताह तक इसी तरह का मौसम रहा तो उत्पादन में चार से पांच फीसद तक असर पड़ सकता है। इसको लेकर किसान से लेकर कृषि के जानकार लोग भी ¨चतित हैं। हालांकि मौसम विभाग का अनुमान उनके अंदर एक उम्मीद को जगाए रखने में कामयाब होता नजर आ रहा है।
जागरण संवाददाता, सोनभद्र : मौसम का इनदिनों बदलता मिजाज केवल इंसान के लिए ही नहीं बल्कि फसलों के लिए भी खतरनाक है। कृषि विभाग के जानकार भी इस मौसम को ठीक नहीं बताते। वे कहते हैं कि अगर एक सप्ताह तक इसी तरह का मौसम रहा तो पांच फीसद उत्पादन प्रभावित हो सकता है। ..क्योंकि यही समय है गेहूं के पौधों के विकास करने का। ठंड कम पड़ेगी तो पौधों का विकास कम होगा। जब विकास ही नहीं होगा तो उत्पादन प्रभावित होना स्वाभाविक है।
खेती से जुड़े लोगों की मानें तो इस वर्ष सितंबर माह के बाद से ही बारिश नहीं हुई। ऐसे में जलस्तर तेजी से खिसक रहा है। ठंड के मौसम में भी जाड़े का अहसास नहीं हो रहा है। अभी जनवरी माह में ही दिन में तेज धूप हो रही है। कभी-कभी रात में गलन के कारण स्थिति काफी ¨चताजनक बन जा रही है। तापमान में उतार-चढ़ाव भी जारी है। करमा के किसान अर¨वद, मधुपुर के रामजी ¨सह, रामगढ़ से अशोक ने मौसम को लेकर ¨चता जतायी। इस साल नहीं पड़ी कड़ाके की ठंड
अभी तक के तापमान पर गौर करें तो कड़ाके की ठंड इस बार नहीं पड़ी। कोहरा और पाला तो इस बार सोनांचल के मैदानी इलाकों में शायद ही कभी-कभार देखने को मिला हो। मौसम विभाग से जुड़े लोगों की मानें तो इस साल का न्यूनतम तापमान 4.4 डिग्री सेल्सियस रहा है जबकि गतवर्ष यही आंकड़ा तीन के करीब था। इस स्थिति में अगर अभी से मौसम का रुख यही रहा तो आने वाले समय में दिक्कत काफी ज्यादा होगी।
औसत उत्पादन गिरने का अनुमान
कृषि विभाग के जानकार लोगों का कहना है कि बीते साल तक जिले में गेहूं का औसत उत्पादन 23.57 ¨क्वटल प्रति हेक्टेयर था। इस बार 55192 हेक्टेयर क्षेत्रफल में गेहूं की बोआई हुई है अगर इस हिसाब से उत्पादन हुआ तो करीब 13 लाख ¨क्वटल से अधिक उत्पादन होगा। मौसम का मिजाज ठीक नहीं रहा तो उत्पादन में कमी आ सकती है। जिला कृषि अधिकारी पीयूष राय बताते हैं कि गेहूं के लिए करीब 20 से 22 डिग्री का तापमान चाहिए होगा इस समय।