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बिल्ली-मारकुंडी की 29 खदानों के चालू होने की उम्मीद 

प्रदेश को सबसे ज्यादा राजस्व देने वाले सोनभद्र के खनन क्षेत्रों के जल्द अच्छे दिन आ सकते हैं। राजस्व और वन भूमि के सीमांकन को लेकर चल रहे विवाद के कारण जबर्दस्त बंदी की मार झेल रहे खनन क्षेत्र में छाया सियापा जल्द ही काफी हद तक कम हो सकता है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 14 Feb 2019 09:29 PM (IST)Updated: Thu, 14 Feb 2019 09:29 PM (IST)
बिल्ली-मारकुंडी की 29 खदानों के चालू होने की उम्मीद 
बिल्ली-मारकुंडी की 29 खदानों के चालू होने की उम्मीद 

जासं, ओबरा (सोनभद्र) : प्रदेश को सबसे ज्यादा राजस्व देने वाले सोनभद्र के खनन क्षेत्रों के जल्द ही अच्छे दिन आ सकते हैं। राजस्व और वन भूमि के सीमांकन को लेकर चल रहे विवाद के कारण बंदी की मार झेल रहे खनन क्षेत्र में छाया सियापा जल्द ही काफी हद तक कम हो सकता है। समस्या की मुख्य जड़ धारा 20 के प्रकाशन को लेकर जिला प्रशासन ने तेजी दिखाई है। बुधवार की शाम को प्रभागीय वनाधिकारी कार्यालय में जिलाधिकारी अमित कुमार ¨सह की अध्यक्षता में वन विभाग, राजस्व और खनन विभाग की संयुक्त बैठक हुई। इसमें कई खनन क्षेत्रों के लिए धारा 20 के प्रकाशन पर सहमति बनी। बैठक के बाद जिलाधिकारी ने बताया कि ससनई क्षेत्र के 5012.308 हेक्टेयर के प्रकाशन का प्रस्ताव शासन को भेजा जा रहा है। इसके अलावा बिल्ली-मारकुंडी के प्रस्ताव पर भी बैठक के दौरान चर्चा हुई। बताया कि कोई तकनीकी दिक्कत नहीं हुई तो सोमवार तक बिल्ली-मारकुंडी के प्रकाशन प्रस्ताव को शासन को भेज दिया जाएगा। उम्मीद जताई कि शासन द्वारा 15 दिनों के अंदर धारा 20 का प्रकाशन कर दिया जाएगा। प्रभागीय वनाधिकारी ओबरा मूलचंद ने बताया कि सभी प्रस्ताव मीरजापुर जाएंगे, उसके बाद शासन को भेजा जाएगा। बताया कि खनन संबंधी जो भी जमीन प्रभावित थी वे सभी धारा 4 में दर्ज थी। इस कारण एनजीटी ने उक्त सभी जमीनों पर खनन कार्य बंद करा दिया गया था। एनजीटी ने कहा था कि जब तक धारा 20 का प्रकाशन नहीं होगा तब तक खनन संभव नहीं है, लिहाजा उन जमीनों को पृथक कर धारा 20 का प्रकाशन आवश्यक हो गया था। बताया कि यहां पर बड़ी आबादी की निर्भरता खनन से जुड़ी हुई है। अब धारा 20 के प्रकाशन के बाद रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। बैठक में एसडीएम सदर शादाब असलम, वन बंदोबस्त अधिकारी रामचंद्र यादव, उप प्रभागीय वनाधिकारी चोपन जयप्रकाश ¨सह, तहसीलदार विकास पांडेय, सहायक अभिलेख अधिकारी राज कुमार, खान अधिकारी केके राय, सर्वेयर जेके दत्ता, क्षेत्रीय लेखपाल राजेश मिश्रा, वन दरोगा आलोक मिश्रा आदि लोग मौजूद रहे। राजस्व व वन विभाग के बीच सामंजस्य है महत्वपूर्ण

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मंगलवार की शाम को राजस्व और वन विभाग के बीच बना सामंजस्य महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। दोनों विभागों के बीच सामंजस्य की अपेक्षित कमी की वजह से सबसे ज्यादा रोजगार पैदा करने वाला खनन व्यवसाय बंदी की हालत में पहुंच गया है। दोनों विभागों की जमीनों का सीमांकन न हो पाने के कारण एक लाख से ज्यादा रोजगार प्रभावित है। मुख्य तौर पर सीमांकन संबंधी विवाद के कारण ही गतवर्ष जुलाई माह में एनजीटी ने बिल्ली-मारकुंडी सहित जनपद के अन्य खनन क्षेत्रों में मौजूद 100 से ज्यादा खनन पट्टों को भी अवैध मानते हुए उन्हें प्रतिबंधित कर दिया था। आदेश के बाद 50 हजार से ज्यादा मजदूरों के रोजगार पर प्रभाव पड़ा था।


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