बड़ों का आशीर्वाद परेशानियों को करता है दूर
न में सात दिवसीय संगीतमय व लीलामय श्रीमछ्वागवत ज्ञानयज्ञ व कथा ग्राम सरौली के डीह बाबा प्रांगण में गुरुवार को चौथे दिन कथा में राजा सगर के चरित्र की कथा सुनाई गई। जिसमें बताया गया कि राजा सगर के साठ हजार पुत्रों के अश्वमेध घोड़ा ढूंढने पर उनके रथ के पहियों से सात लकीरें बन गईं जो
जागरण संवाददाता, सोनभद्र : युवक मंगल दल के तत्वावधान में सात दिवसीय संगीतमय व लीलामय श्रीमद्भागवत ज्ञानयज्ञ व कथा ग्राम सरौली के डीह बाबा प्रांगण में गुरुवार को चौथे दिन कथा में राजा सगर के चरित्र की कथा सुनाई गई। जिसमें बताया गया कि राजा सगर के साठ हजार पुत्रों के अश्वमेध घोड़ा ढूंढने पर उनके रथ के पहियों से सात लकीरें बन गईं, जो बाद में सागर बन गए। राजा सगर के ही वंश में राजा भगीरथ हुए जो गंगा को पृथ्वी पर लाए।
कथा सुनाते हुए बाल व्यास आराधना शास्त्री ने बताया कि हम सबको कथा सुन कर अपने जीवन मे उसके कुछ अंश को धारण भी करना चाहिए। प्रभु श्री रामचंद्र जी ने तो पहली ही शिक्षा यही दी है कि प्रात: उठ कर सबको माता पृथ्वी को और सभी बड़ों को प्रणाम करना चाहिए, क्योंकि बड़ों का आशीर्वाद सदैव लेना चाहिए। जिससे उनके आशीर्वाद से जीवन की सभी परेशानियां दूर हो जाएं। कथा में फुलवारी प्रसंग में राम व सीता जी की प्रथम भेंट हुई और धनुष भंग की कथा का सभी श्रोताओं ने लीला झांकी सहित आनंद लिया। इस मौके पर सौरभकांत पति तिवारी, अंशिका तिवारी, पं. सौरभ कुमार भारद्वाज, दीपेंद्र कुमार पांडेय, मनोज दीक्षित, नीतीश कुमार चतुर्वेदी, आलोक मिश्रा, संजय मिश्रा, सूर्यकांत तिवारी आदि रहे।