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किसानों के लिए मलाईदार होगा मधुमक्खी पालन

जागरण संवाददाता, सोनभद्र: आय बढ़ाने की जद्दोजहद में फंसी सरकार व किसानों के लिए मधुमक्खी पा

By JagranEdited By: Published: Sun, 20 May 2018 10:09 PM (IST)Updated: Sun, 20 May 2018 10:09 PM (IST)
किसानों के लिए मलाईदार होगा मधुमक्खी पालन
किसानों के लिए मलाईदार होगा मधुमक्खी पालन

जागरण संवाददाता, सोनभद्र: आय बढ़ाने की जद्दोजहद में फंसी सरकार व किसानों के लिए मधुमक्खी पालन एक बेहतर विकल्प हो सकता है। इसमें रोजगार सृजन सहित अधिक पैसा कमाने की क्षमता है। बाजार भी उपलब्ध हैं। दाम भी भरपूर है। इसके लिए जिला उद्यान विभाग ने मधुमक्खी पालन को रोजगार सृजन सहित परपराग वाली फसलों के उत्पादन में बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक बड़ा खाका तैयार किया है और उसे मुख्य विकास अधिकारी के यहां सुपुर्द भी कर दिया है। हालांकि, जनपद में मधुमक्खी पालन की प्रवृत्ति अभी पुष्पित अवस्था में है। गिने-चुने चार पांच किसान ही मधुमक्खी पालन से जुड़े हुए हैं लेकिन उनके जो परिणाम आ रहे हैं उससे यह स्पष्ट है कि मधुमक्खी पालन किसानों के लिए मलाईदार साबित होगा। बहुत पुराना है मधुमक्खियों का इतिहास

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यहां के विभिन्न वैदिक ग्रंथों ऋग्वेद, अथर्ववेद, उपनिषद, गीता, मार्कण्डेय पुराण, राज निघटू, भारत संहिता, अर्थशास्त्र व अमरकोश में मधुमक्खी, शहद और मधुमक्खी पालन का उल्लेख मिलता है। इसके साथ ही बौद्ध ग्रंथों में भी विनयपिटक, अभिधम्मपिटक व जातक कहानियों में भी इसका उल्लेख बहुतायत में है। वत्स्ययान ने तो अपने कामसूत्र में शहद का उल्लेख एक विशेष आनंद की प्राप्ति में सहायक माना है। महाकाव्य रामायण में एक मधुबन जिसका अर्थ 'शहद का जंगल' का वर्णन किया है जिसकी खेती सुग्रीव ने की थी। इसी तरह महाकाव्य महाभारत में भी मधु का उल्लेख किया गया है। पहली बार हुआ आधुनिक प्रयोग

1884 में देश में पहली बार डगलस नामक डाक व तार विभाग के एक ब्रिटिश अधिकारी ने अपनी पुस्तक में आधुनिक प्रयोग से मधुमक्खी पालन का जिक्र किया। इसके बाद इसका पहला सफल प्रयास केरल राज्य में हुआ, जहां रेवरेंड न्यूटन ने एक विशेष प्रकार के कृत्रिम छत्ते से ग्रामीण लोगों को मधुमक्खी पालन से शहद निर्मित करने का प्रशिक्षण दिया। यह छत्ता Xह्नह्वश्रह्ल;न्यूटन हाइवXह्नह्वश्रह्ल; के नाम से लोकप्रिय हुआ। इसके बाद तो इस क्षेत्र में काफी वृद्धि हुई। जनपद में लोकप्रिय करने की कवायद शुरू

जिला उद्याग विभाग अधिकारी नलिन सुंदरम भट्ट ने बताया कि जनपद में चार-पांच ही किसान अभी मधुमक्खी पालन से जुड़े हुए हैं। इससे होने वाले लाभ के बारे में उन्होंने बताया कि मधुमक्खी पालन के लिए विभाग की ओर से किसानों को एक विशेष प्रकार का बाक्स दिया जाता है। इस एक बाक्स से एक किसान को लगभग एक साल में 50 किलो मधु प्राप्त होता है। बताया कि वैसे एक किसान को 50 बाक्स दिये जाते हैं और बाजार में मधु के एक किलो का मूल्य 200 से ढाई सौ के करीब है, जो आसानी से किसानों को प्राप्त हो जाते हैं। हालांकि प्रतिकूल परिस्थिति यहां के किसानों के लिए पानी की कमी उत्पन्न करता है। यह नियमित रूप से मिलता रहे तो किसानों के परपराग वाली फसलों में 25 फीसद उत्पादन में वृद्धि के साथ दोतरफा लाभ प्राप्त होंगे। वैसे, किसानों को मधुमक्खी पालन से जोड़ने के लिए विभाग ने एक खाका बनाकर सीडीओ के पास भेज दिया है।


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