बर्फी में स्टार्च की मिलावट पर एक साल की सजा
राबर्ट्सगंज स्थित शिवम स्वीट्स पर बिकने वाली बर्फी में मिलावट की आशंका पर खाद्य सुरक्षा एवं औषघि प्रशासन की टीम ने छापेमारी किया था। 2010 में छापेमारी के दौरान वहां से नमूना लिया गया। उसकी जांच करायी गई तो पता चला कि बर्फी में स्टार्च की मिलावट है। यह मिलावट स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। यह मामला मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के न्यायालय में चल रहा था। गुरुवार को उसमें न्यायालय ने अहम फैसला सुनाया। फैसले में खाद्य कारोबारी शलभ खंडेलवार को एक वर्ष की सजा व पांच हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है।
जागरण संवाददाता, सोनभद्र : खोवा की बर्फी में स्टार्च मिलाकर बेचने वाले वाले एक मिठाई कारोबारी को न्यायालय मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी ने गुरुवार को एक साल की सजा व पांच हजार रुपये का जुर्माना लगाया। अर्थदंड अदा न करने पर अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। न्यायालय के इस फैसले की जानकारी होते ही मिलावट करके मिठाई बेचने वालों में हड़कंप मच गया है।
जिला अभिहित अधिकारी मानिक चंद ने बताया कि नवंबर 2010 में खाद्य निरीक्षक संजय पांडेय को बाजार में मिलावटी खाद्य सामग्री बिक्री की सूचना मिली। उसी आधार पर वह पिपरी रोड राबर्ट्सगंज स्थित शिवम स्वीट्स पर पहुंचे। वहां औपचारिकता पूरी कराते हुए खोवा की बर्फी का सैंपल लिया। सैंपल को नियमानुसार लैब भेजकर जांच कराई गई तो पता चला कि उसमें स्टार्च मिला हुआ है। उसी आधार पर मामला न्यायालय में पहुंचा। बताया कि उसी समय से मामला न्यायालय में चल रहा था। गुरुवार को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी नेत्रपाल सिंह ने इस मामले में अहम फैसला सुनाया। न्यायालय द्वारा सुनाए गए फैसले के मुताबिक खाद्य कारोबारकर्ता शलभ खंडेलवाल को एक वर्ष की सजा व पांच हजार रुपये का अर्थदंड लगाया गया है। करीब आठ साल बाद आया यह फैसला काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। अभिहित अधिकारी ने कहा कि इस तरह की कार्रवाई से मिलावट करने वालों पर अंकुश लगेगा।
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क्या है स्टार्च
जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. पीबी गौतम ने बताया कि स्टार्च की मात्रा अधिक होने पर स्वास्थ्य पर असर पड़ता है। बताया कि यह कार्बोहाइड्रेड है। हमारे खाने के जो अवयव हैं उनमें से एक है। यह ऊर्जा देता है शरीर को। लेकिन ज्यादा मात्रा होने पर नुकसान पहुंचाता है। आजकल खोवा की बर्फी आदि में आलू मिलाकर कारोबारी उसे बेच देते हैं। आलू में स्टार्च होता है और खोवे में नहीं। ऐसे में खोवा नुकसानदेह हो जाता है। आमतौर पर कारोबारी वजन बढ़ाने के लिए इस तरह की मिलावट करते हैं। यानी पैसै लेते हैं खोवा का और बेचते हैं मिलावटी।