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अभी पूरा नहीं हुआ बलुई बंधी का मरम्मत कार्य

मूसलधार बरसात के कारण दो अगस्त को टूटी बलुई बंधी के अनुरक्षण कार्य में ¨सचाई विभाग द्वारा पूरी तरह सावधानी बरती जा रही है। इस दौरान लगातार हो रही बरसात के कारण अनुरक्षण कार्य में बाधा उत्पन्न हो रही है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 23 Aug 2018 10:07 PM (IST)Updated: Thu, 23 Aug 2018 10:07 PM (IST)
अभी पूरा नहीं हुआ बलुई बंधी का मरम्मत कार्य
अभी पूरा नहीं हुआ बलुई बंधी का मरम्मत कार्य

जागरण संवाददाता, सोनभद्र: मूसलधार बरसात के कारण दो अगस्त को टूटी बलुई बंधी के तटबंध का मरम्मत अभी तक पूरा नहीं हो सका है। तटबंध का मरम्मत न होने से बारिश का पानी बंधी में रुकने की बजाय बह जा रहा है। हालांकि अनुरक्षण कार्य में ¨सचाई विभाग द्वारा पूरी तरह सावधानी बरती जा रही है। अधिकारियों का कहना है कि लगातार हो रही बरसात के कारण मरम्मत कार्य में बाधा उत्पन्न हो रही है।

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¨सचाई विभाग के अधिशासी अभियंता जीबी पांडेय ने बताया कि पुराने बैरल में लीकेज ही बंधी के टूटने का कारण बना है। घटना की पुनरावृत्ति न हो इसके लिए बंधी को दोनों तरफ से आरसीसी कराया जा रहा है। एक साइड का आरसीसी कार्य पूर्ण हो चुका है। दूसरी ओर का कार्य पूर्ण होने के बाद मिट्टी भरने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। उन्होंने बताया कि बंधी टूटने के बाद से ही अनवरत बरसात का सिलसिला जारी रहने से विशेष सावधानी बरती जा रही है। भारी फिसलन उत्पन्न हो जाने के कारण मजदूरों के गिरने की संभावना बन जा रही है। किसानों की ¨चता पर श्री पांडेय ने बताया कि किसानों को ¨चतित होने की जरूरत नहीं है। आवश्यकता पड़ने पर बंधी में सोन पंप से पानी भर कर संबंधित नहरों का संचालन किया जायेगा। किसी भी स्थिति में ¨सचाई के बिना फसलों को सूखने नहीं दिया जायेगा। सींचपाल को किया गया निलंबित

एक्सईएन श्री पांडेय ने बताया कि बलुई बंधी टूटने को अधिकारियों द्वारा अत्यंत गंभीरता से लिया गया है। प्रथम²ष्टया दोषी पाये जाने पर गतदिवस जहां बंधी के बेलदार को निलंबित किया गया था वहीं जांच के बाद सींचपाल को भी निलंबित कर दिया गया है। इस संबंध में संबंधित एसडीओ व जेई से स्पष्टीकरण भी मांगा गया है। बलुई बंधी की स्थिति

- जल भंडारण की क्षमता- 213 एमसीएफटी (मिलियन क्यूबिक फीट)

- निकलने वाली नहरों की संख्या- तीन (कुरहुल रजवाहा, अदलगंज माइनर व बलुई राइट माइनर)

- लंबाई- 2.90 किमी

- ऊंचाई- 11.90 मीटर

- ¨सचित भूमि- 2391 हेक्टेयर

- लाभान्वित गांवों की संख्या- 22


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