ऐश डैम के लिए भूमि अधिग्रहण में फंस सकता पेच
निर्माणाधीन ओबरा सी के लिए बनने वाले ऐश पांड के लिए चल रहे भूमि अधिग्रहण में पेंच फंस सकता है। वर्तमान मुआवजा नीति को लेकर जहां पहले से ग्रामीण नाराज हैं वहीं पनारी के ग्राम प्रधान के साथ हुए अमर्यादित व्यवहार के बाद नाराजगी और बढ़ गयी है।
जासं, ओबरा (सोनभद्र) : निर्माणाधीन ओबरा-सी परियोजना के लिए बनने वाले ऐश डैम के लिए चल रही भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में पेच फंस सकता है। वर्तमान मुआवजा नीति को लेकर जहां पहले से ग्रामीण नाराज हैं वहीं पनारी के ग्राम प्रधान के साथ हुए अमर्यादित व्यवहार के बाद नाराजगी और बढ़ गई है। अत्यंत पिछड़े ग्राम पंचायत के लोग अब अपेक्षित विकास की बात भी करने लगे हैं। हालांकि ग्रामीणों के विरोध के बीच अब जिला प्रशासन द्वारा शासन के तय नियमों के तहत भूमि अधिग्रहण कराया जा सकता है। ओबरा-सी के अधिशासी अभियंता राजीव कुमार ने बताया कि ग्रामीणों की भूमि का मूल्यांकन कर लिया गया है। सभी आवश्यक रिपोर्ट जिला प्रशासन को दे दी गई है। जिला प्रशासन तय एक्ट के तहत नोटिफिकेशन सहित अन्य कार्रवाई करेगा। पनारी के गुरूड़ में बनेगा ऐश डैम
ओबरा-सी के लिए पूर्व में रेणुका नदी के पूर्वी तटवर्ती हिस्से में बनने वाले ऐश डैम के निरस्त होने के बाद अब रेणुकापार के पनारी में ऐश डैम बनाने का प्रस्ताव है। एनजीटी के नदियों से 500 मीटर दूर ऐश डैम बनाने के नियम की वजह से पनारी के गुरूड़ टोले में नए ऐश डैम बनाने की प्रक्रिया चल रही है। गुरूड़ से सटे चकाड़ी में पहले से ओबरा तापीय परियोजना का ऐश डैम मौजूद है। 125 हेक्टेयर में बनने वाले डैम के लिए भूमि अधिग्रहण की कवायद चल रही है। जिसमें वन विभाग, ग्राम समाज और ग्रामीणों की भूमि का प्रयोग किया जाएगा। इसमें ग्रामसभा के साथ वन विभाग की 39 हेक्टेयर, ग्रामीणों की 50 हेक्टेयर से ज्यादा भूमि शामिल है।
ग्रामीण भूमि के बदले नौकरी की आस लगाए बैठे
नए ऐश डैम के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में प्रदेश सरकार की वर्तमान मुआवजा नीति को लेकर पेच फंस रहा है। ग्रामीण भूमि के बदले नौकरी की आस लगाए बैठे हैं जबकि वर्तमान नीति में भूमि के सर्किल रेट से चार गुना तक मुआवजा देने का प्रावधान है। चूंकि तीन दशक पूर्व चकाड़ी में ऐश डैम बनाने के दौरान पुरानी नीति के तहत जमीन मालिकों को नौकरियां दी गई थीं। इस कारण वर्तमान में ग्रामीण नौकरियों की मांग कर रहे हैं। इस कारण भूमि अधिग्रहण में देरी हो रही है। पिछले कई माह से प्रशासन ग्रामीणों से आम सहमति बनाने के प्रयास में जुटा हुआ है। इसके लिए जिलाधिकारी ने पिछले माह एक कमेटी भी बनाई थी लेकिन अभी तक पूरी तरह से सफलता नही मिलते दिख रही है। वहीं गत सप्ताह तहसील स्तर के बड़े अधिकारी द्वारा पनारी के ग्राम प्रधान उदित नारायण खरवार के साथ किए गए दुर्व्यवहार के बाद ग्राम समाज की भूमि के अधिग्रहण में भी पेच फंसते जा रहा है। तहसील के बड़े अधिकारी द्वारा ग्राम प्रधान को धमकी देने के बाद पनारी में नाराजगी देखी जा रही है। ग्राम प्रधान ने बताया कि उन्हें जबरन अभिलेखों पर हस्ताक्षर के लिए कहा गया लेकिन जब उन्होंने ग्राम पंचायत के पिछड़ेपन को देखते हुए व्यापक विकास करने की बात कही गई तो उन्हें धमकी दी गई। ग्राम प्रधान ने बताया कि रेणुका पुल के निर्माण के साथ पनारी में इंटरमीडिएट विद्यालय, ¨सचाई की पर्याप्त व्यवस्था सहित कई विकास कार्य होना जरूरी है।