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उभ्भा नरसंहार के बाद दुद्धी में याद आए पूर्व एसडीएम

उभ्भा नरसंहार के बाद योगी सरकार को घेरने के लिए एक ओर जहां सियासत तेज हो गई है वहीं दूसरी ओर इस तरह की घटना की आशंका पर तीन वर्ष पूर्व दुद्धी में बतौर एसडीएम के रूप में तैनात डा. विश्राम ने ढाई सौ से अधिक आदिवासियों-वनवासियों को भौमिक अधिकार (मालिकाना हक) का प्रमाण पत्र विशेष अभियान चलाकर दिया था।

By JagranEdited By: Published: Wed, 24 Jul 2019 06:40 PM (IST)Updated: Thu, 25 Jul 2019 06:25 AM (IST)
उभ्भा नरसंहार के बाद दुद्धी में याद आए पूर्व एसडीएम
उभ्भा नरसंहार के बाद दुद्धी में याद आए पूर्व एसडीएम

जासं, दुद्धी (सोनभद्र) : उभ्भा नरसंहार के बाद योगी सरकार को घेरने के लिए एक ओर जहां सियासत तेज हो गई है, वहीं दूसरी ओर इस तरह की घटना की आशंका पर तीन वर्ष पूर्व दुद्धी में बतौर एसडीएम के रूप में तैनात डा. विश्राम ने ढाई सौ से अधिक आदिवासियों-वनवासियों को भौमिक अधिकार (मालिकाना हक) का प्रमाण पत्र विशेष अभियान चलाकर दिलाया था। जिले में नरसंहार की घटना के बाद उनके द्वारा किए गए कार्यों की चर्चा न सिर्फ दुद्धी क्षेत्र में बल्कि जिले के अन्य क्षेत्रों में भी हो रही है।

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2016 में उनकी तैनाती के दौरान जन शिकायतों में एक समस्या लगभग पूरे तहसील क्षेत्र से आ रही थी। फरियादी के नाम के जमीन पर प्रतिवादी बीते कई सालों से जोत-कोड़ करता चला आ रहा है। इस तरह की सैकड़ों शिकायतों को संज्ञान में आने के बाद बतौर एसडीएम वे कुछ मामलों में रूचि लेकर स्वयं जांच पड़ताल करने लगे। कई मामलों में वे पाए कि आदिवासियों, वनवासियों एवं निरीह ग्रामीणों के कई पुश्तों से काबिज जोत-कोड़ वाली भूमि को नियम विरुद्ध तरीके से सर्वे सेटलमेंट के दौरान किसी अन्य का नाम चढ़ाया गया है। कई मामलों में एक जैसी कमी मिलने के बाद वे तत्कालीन जिलाधिकारी सीबी सिंह को अपनी जांच रिपोर्ट दिखाते हुए आदिवासियों, वनवासियों के साथ किए गए अन्याय से अवगत कराया। दोनों संवेदनशील अधिकारियों ने मामले की गंभीरता को देखते हुए दुद्धी तहसील क्षेत्र में विशेष अभियान शुरू कर ऐसे भूमि की पड़ताल में राजस्व कर्मियों की टीम लगा दिया। उसका सकारात्मक परिणाम यह मिला कि करीब ढाई सौ से अधिक आदिवासियों, वनवासियों को उनके कब्जे वाली भूमि का भौमिक अधिकार प्रमाण पत्र जिला प्रशासन ने विशेष शिविर के जरिए वितरित किया था। उभ्भा घटना के बाद जिले में चल रहे तमाम हलचल के बीच इस बात की भी चर्चा जोर पकड़ने लगी है कि उसी तरह के अभियान चलाकर भूमि विवाद के ऐसे मामलों का निस्तारण किया जा सकता है।


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