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यातायात नियमों का सख्ती से पालन कराने में प्रशासनिक अमला नाकाम

जागरण संवाददाता सोनभद्र जिले में पिछले कुछ वर्षों में सड़क हादसों में तेजी आई है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 27 Nov 2020 10:19 PM (IST)Updated: Fri, 27 Nov 2020 10:19 PM (IST)
यातायात नियमों का सख्ती से पालन कराने में प्रशासनिक अमला नाकाम
यातायात नियमों का सख्ती से पालन कराने में प्रशासनिक अमला नाकाम

जागरण संवाददाता, सोनभद्र : जिले में पिछले कुछ वर्षों में सड़क हादसों में तेजी आई है। इसके पीछे साफ तौर पर यातायात के नियमों का उल्लंघन होना है। हालांकि सरकार ने सड़क हादसों पर अंकुश लगाने व नियमों का सख्ती से पालन कराने के लिए ठोस कदम उठाया है और जुर्माना की राशि कई गुना बढ़ाया है ताकि लोग इसके खौफ से यातायात नियमों का कड़ाई से पालन करेंगे, लेकिन पुलिस व जिला प्रशासन के खानापूर्ति के चलते यातायात नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। यह किसी भी चौराहा व तिराहा पर देखा जा सकता है। पुलिस के सामने बिना हेलमेट, बिना ड्राइविग लाइसेंस व बिना सीट बेल्ट के वाहन गुजर रहे है।

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यातायात नियमों को ताक पर रखने वाले लोगों के खिलाफ पुलिस सटीक कार्रवाई नहीं करती। पुलिस व जिला प्रशासन खानापूर्ति के लिए केवल लोगों को बीच-बीच में नियमों का पाठ पढ़ाती है। उसके बाद बिल्कुल उसी अंदाज में यातायात के नियमों का उल्लंघन होता है, जिससे हादसे होते हैं। जिले में बढ़ते हादसों के पीछे सड़कों पर मनमाने तरीके से लगाई जा रही अवैध पार्किंग भी है। मुख्य सड़कों के साथ लगाई जा रही पार्किंग से न केवल कई हादसे अब तक घटित हो चुके हैं, बल्कि इस कारण आए दिन जाम की समस्या भी उत्पन्न हो रही है। सड़कों पर लग रही अवैध पार्किग को लेकर यातायात पुलिस का रवैया सुस्त है। जिले में आए दिन हो रहे अधिकतर हादसों के पीछे ओवरलोड वाहन भी हैं। इसकी सच्चाई पुलिस विभाग से मिल रहे आंकड़ों से भी लगाई जा सकती है। ये ओवरलोड वाहन किसी न किसी व्यक्ति की जान ले लेते हैं। दुर्घटनाओं को अंजाम दे रहे ओवरलोड वाहनों पर नंबर प्लेट भी कम ही दिखाई देता है। बिना नंबर प्लेट के वाहन का संचालन करने के पीछे मकसद चालान से बचना होता है लेकिन ऐसे ही वाहन हादसे की वजह बनते है और किसी न किसी की जान ले लेते हैं। नवंबर तक सीमित रहता है यातायात जागरूकता अभियान

हर वर्ष नवंबर शुरू होते ही यातायात माह का शुभारंभ बड़े ही सक्रियता से किया जाता है। अफसर फीता काटकर यातायात नियमों का पालन करने की दुहाई देते हैं। यातायात नियमों को लेकर जानकारी भी दी जाती है। उल्लंघन करने वालों को सजा का प्रावधान भी बताया जाता है। चौराहों व तिराहों पर यातायात नियमों को नजरअंदाज कर चलने वाले चालकों के खिलाफ कार्रवाई भी होती है। लेकिन यह सब सख्ती महज एक माह की होती है। 30 नवंबर के साथ यातायात माह जैसे ही खत्म होता है, पुलिस सख्ती करना तो दूर वाहनों की जांच के नाम पर भी बस जिम्मेदारी का निर्वहन करती है। नतीजा नवंबर जाते ही दो पहिया पर तीन से अधिक सवारी, बिना हेलमेट व सीट बेल्ट के ड्राइविग जैसे यातायात नियमों को ठेंगा दिखाते लोग पुलिस के सामने से गुजरने लगते हैं।

यातायात नियमों को नजरअंदाज करने वालों पर समय-समय पर कार्रवाई होती है। उनकी फोटो खींचकर ई-चालान किया जाता है बावजूद लोग यातायात नियमों का सख्ती से पालन नहीं कर रहे हैं। जब तक लोग खुद जागरूक नहीं होंगे, कुछ हासिल होने वाला नहीं है।

-वागीश विक्रम सिंह, यातायात प्रभारी। नियम तोड़ने पर जुर्माना राशि .. -सीट बेल्ट नहीं पहनने पर : 1000

-दो पहिया वाहन पर क्षमता से अधिक सवारी : 1000

-हेलमेट न पहनने पर : 1000

(तीन माह के लिए लाइसेंस रद्द)

-इमरजेंसी वाहन को रास्ता नहीं देने पर : 10,000

-बिना लाइसेंस ड्राइविग करने पर : 5000

-ओवर स्पीड : 2000

-खतरनाक ड्राइविग करने पर : 5000

-शराब पीकर वाहन चलाने पर : 10,000

-ड्राइविग के दौरान मोबाइल से बात करने पर : 5000

-बिना परमिट पाए जाने पर : 10,000

-बिना इंश्योरेंस वाहन चलाने पर : 2000

नाबालिग द्वारा वाहन चलाने पर : 25,000

(तीन साल की सजा, वाहन का रजिस्ट्रेशन रद) 10 .. .. चालान की संख्या .. सीट बेल्ट न लगाने पर : 218

हेलमेट न पहनने पर : 839

दो पहिया वाहन पर तीन सवारी : 487

बिना लाइसेंस वाहन चलाने पर : 61


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