बजट में अनपरा परियोजना के लिए 200 करोड़
पिछले दो वर्षों के दौरान प्रदूषण सम्बन्धी कारणों के कारण आधा दर्जन से ज्यादा इकाइयों को बंद करने के बाद उत्तर प्रदेश उत्पादन निगम अपनी सबसे सस्ती बिजली पैदा करने वाली इकाइयों को बचाने के लिए उत्तर प्रदेश शासन से कई अपेक्षाएं की थी।
जागरण संवाददाता, ओबरा (सोनभद्र) : गत दो वर्षों के दौरान प्रदूषण संबंधी कारणों के कारण आधा दर्जन से ज्यादा इकाइयों को बंद करने के बाद उत्तर प्रदेश उत्पादन निगम अपनी सबसे सस्ती बिजली पैदा करने वाली इकाइयों को बचाने के लिए उत्तर प्रदेश शासन से कई अपेक्षाएं की थी। मंगलवार को योगी सरकार के बजट में पुरानी इकाइयों को बचाने की झलक दिखाई पड़ी। पर्यावरण के नए मापदंडों के अनुसार 25 साल से अधिक पुरानी कोयला आधारित बिजली इकाइयों में फ्लू गैस डिसल्फराइजेशन (एफजीडीएस) प्रणाली लगाना अनिवार्य कर दिया गया है अन्यथा इन बिजली घरों को बंद करना पड़ेगा। निगम ने कई पुरानी इकाइयों में फ्लू गैस डिसल्फराइजेशन प्रणाली लगाने का निर्णय पिछले वर्ष ही लिया था। जिसके लिए प्रदेश सरकार ने बजट में उक्त योजना के लिए अंश पूजी के तहत 200 करोड़ की व्यवस्था कर दी है। पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के निर्देश पर उत्पादन निगम ने अनपरा अ तापघर की 210 मेगावाट वाली तीन इकाइयों और ब तापघर की 500 मेगावाट वाली दो इकाइयों में एफजीडी की स्थापना एवं परामर्शी सेवा पर होने वाले व्यय रु.873.38 करोड़ (जीएसटी सहित)की कार्य योजना का अनुमोदन प्रदान किया था। उक्त कार्ययोजना की लागत रु.873.38 करोड़ के 70 प्रतिशत 617.37 करोड़ का प्रबंध संस्थागत वित्त से तथा 30 प्रतिशत 262.01 करोड़ की राशि शासकीय पूंजी से वित्त पोषित किये जाने का अनुमोदन प्रदान किया था। इसी के तहत प्रदेश सरकार ने बजट में अपने हिस्से के तौर पर 200 करोड़ की व्यवस्था की है। इसके अलावा अनपरा अ तापघर की 210 मेगावाट वाली तीन इकाइयों और ब तापघर की 500 मेगावाट वाली दो इकाइयों में ईएसपी रेट्रोफिटिग के लिए 237 करोड़ की कार्य योजना को स्वीकृति दी गयी थी।इस योजना के लिए भी योगी सरकार ने बजट में अंश पूजी के तौर पर 70 करोड़ की व्यवस्था की है । शासन द्वारा बजट में इन महत्वपूर्ण योजनाओं के लिए धन की व्यवस्था करने से इन इकाइयों का भविष्य लम्बा करने में मदद मिलेगी । गैस उत्सर्जन पर रोकथाम के लिए 15 करोड़
औद्योगिक क्षेत्रों के आसपास बढ़ती सांस संबंधी बीमारियों को देखते हुए नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसी गैसों के उत्सर्जन को नियंत्रित करने के लिए पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने कड़े मानक तय किए हैं। जिसको देखते हुए उत्पादन निगम ने भी अपनी सभी परियोजनाओं में खतरनाक गैसों के उत्सर्जन स्तर को नियंत्रित करने की प्रक्रिया शुरू की है। प्रथम चरण में दहन संशोधन पैकेज के तहत उत्सर्जन स्तर को 400 मिलीग्राम घनमीटर तक नियंत्रित करने के लिए अनपरा डी की 500 मेगावाट की दो, हरदुआगंज और परीछा की 250 मेगावाट की दो-दो इकाइयों के लिए 54.25 करोड़ की कार्य योजना पर काम चल रहा है। द्वितीय चरण में उत्सर्जन स्तर को 300 मिलीग्राम घनमीटर नियंत्रित करने के लिए कई परीक्षण के बाद 121 करोड़ अतिरिक्त खर्च करने की भी योजना है। इसी योजना के लिए अंश पूजी के तौर पर बजट में 15 करोड़ की व्यवस्था की गयी है।