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15 को होगी 13वीं इकाई सिक्रोनाइज

पिछले एक दशक से चल रहे ओबरा तापीय परियोजना के 200 मेगावाट वाली पांच इकाइयों के जीर्णोद्धार ने परियोजना के उत्पादन को तगड़ा झटका दिया है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 18 Mar 2020 04:54 PM (IST)Updated: Wed, 18 Mar 2020 09:25 PM (IST)
15 को होगी 13वीं इकाई सिक्रोनाइज
15 को होगी 13वीं इकाई सिक्रोनाइज

संजय यादव

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ओबरा (सोनभद्र) : पिछले एक दशक से चल रहे ओबरा तापीय परियोजना के 200 मेगावाट वाली पांच इकाइयों के जीर्णोद्धार ने परियोजना के उत्पादन को तगड़ा झटका दिया है। मात्र तीन वर्ष के जीर्णोद्धार कार्यक्रम की आयु लगभग 11 वर्ष तक पहुंच गई। केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण द्वारा 25 वर्ष से पुरानी इकाइयों को बंद करने के नियम के कारण ओबरा की इकाइयों की उम्र ज्यादा नहीं बची है ऐसे में इन इकाइयों से ज्यादा से ज्यादा उत्पादन कराने का दबाव है। बहरहाल, अब जीर्णोद्धार कार्यक्रम अंतिम दौर में है। अभी तक चार इकाइयों का जीर्णोद्धार होने के बाद उनसे उत्पादन चालू हो गया है, शेष एकमात्र 13वीं इकाई का जीर्णोद्धार जल्द पूरा होने की संभावना है। बीते 14 अक्तूबर 2018 को हुए अग्निकांड में 13वीं इकाई को भी नुकसान पहुंचा था, जिसके कारण इस इकाई के आरएंडएम पूरा होने की तिथि जून 2019 से बढ़कर मई 2020 करनी पड़ी थी। एक माह पहले होगी सिक्रोनाइज :

जीर्णोद्धार प्रक्रिया में चल रही 13वीं इकाई को अब 15 अप्रैल तक सिक्रोनाइज करने का लक्ष्य तय किया गया है। इससे पहले 15 मई को इस इकाई को सिक्रोनाइज करने का लक्ष्य तय किया गया था। उत्पादन निगम प्रबंधन के निर्देश पर एक माह पहले इकाई को सिक्रोनाइज करने की तैयारी शुरू कर दी गई है। टेस्ट लाइटअप सहित कई तकनीकी कवायदों पर तेजी से काम चल रहा है। इस इकाई के चालू होने से प्रदेश को सस्ते दरों पर 1480 मिलियन यूनिट से ज्यादा प्रतिवर्ष बिजली मिल सकेगी साथ ही लगभग एक दशक बाद ओबरा परियोजना का उत्पादन 1000 मेगावाट के करीब हो जाएगा। आरएंडएम के पश्चात ओबरा की इकाइयों से प्राप्त होने वाली बिजली की उत्पादन लागत निजी क्षेत्र की विद्युत उत्पादन कंपनियों से काफी कम है। 13वीं इकाई के बंद होने से सभी कामन खर्च सहित कई अन्य खर्चों का भार उपलब्ध शेष चार इकाइयों पर आता है, जिससे उन इकाइयों की प्रति यूनिट बिजली के उत्पादन लागत में भी बढ़ोतरी होती है। ऐसे में इस इकाई का आरएंडएम पूरा होने से ओबरा परियोजना को भी काफी लाभ होगा । हटा ली गई थी आरएंडएम पर लगी रोक

उत्पादन निगम द्वारा बीते 12 अप्रैल 2018 को 13वीं इकाई के आरएंडएम को बंद करने का आदेश दिया था। इसके कारण आरएंडएम में देरी के साथ इस इकाई के सदैव के लिए बंद होने की संभावना पैदा हो गई थी। इस इकाई को अप्रैल 2018 में ही आरएंडएम के लिए भेल को सौंपा गया था। इस इकाई के आरएंडएम पर 510 करोड़ रुपये का खर्च हो रहा था। इसका 90 प्रतिशत भाग स्पेयर्स के मद में मेसर्स बीएचईएल को भुगतान किया जा चुका था तथा मात्र 10 प्रतिशत भाग का भुगतान इरेक्शन एवं कमिशनिग कार्य के मद में किया जाना शेष था। इसके कारण विद्युत संयुक्त संघर्ष समिति ने आरएंडएम बंद करने का भारी विरोध किया था। इसके बाद 17 मई 2018 को आरएंडएम पर लगी रोक को हटा लिया गया था। बहरहाल, अब अगले माह इकाई के सिक्रोनाइज होने को देखते हुए परियोजना प्रशासन ने राहत की सांस ली है। बताते चलें कि पांचों इकाइयों के आरएंडएम की तय लागत 1635 करोड़ से बढ़कर 2600 करोड़ से ज्यादा पहुंच गई है। इसके अलावा सैकड़ों करोड़ की उत्पादन क्षति भी हो चुकी है।

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- 200 मेगावाट वाली 13वीं इकाई के सिक्रोनाइज के लिए 15 अप्रैल का लक्ष्य तय किया गया है। हमारा पूरा प्रयास है कि तय समय पर इकाई सिक्रोनाइज हो और इससे उत्पादन शुरू हो जाए। इससे आने वाली गर्मियों में बिजली संकट दूर करने में ओबरा परियोजना का ज्यादा से ज्यादा योगदान हो।

- इ. आरपी सक्सेना, सीजीएम ओबरा तापीय परियोजना।


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