अब जिंदगीभर न भूलेंगे बीते तीस घंटे और वो मनहूस रात..
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सीतापुर : अनुज बोरवेल में सोमवार की दोपहर करीब तीन बजे के आसपास धंसा था। करीब तीस घंटे से भी अधिक समय की मशक्कत के बाद उसके शव को बाहर निकाला गया। उसकी सांसें थम गईं। यह घटना अनुज के परिवारजन के लिए ही नहीं, पूरे गांव और आसपास के क्षेत्र के लिए कभी न भूलने वाली रात बन गई। अनुज के बोरवेल में फंसने के बाद हर कोई उसके बाहर आने के लिए मशक्कत कर रहा था। रात करीब नौ बजे के आसपास रेसक्यू पूरा हुआ और इसी के साथ उम्मीदें भी टूट गईं। बार-बार बेहोश हो रहे थे श्यामलाल
इस हादसे के बाद श्याम लाल बार-बार बेहोश हो जा रहे थे। होश में आते हैं, बेटे का नाम लेकर पुकारते हैं और फिर बेहोश जाते हैं। उनकी ये हालत देख आसपास गांवों के ग्रामीणों के आंसू भी नहीं रुक रहे थे। थोड़ी ही दूर पर अनुज की पत्नी अंजनी भी रो-रोकर बेहाल थी। पछाड़ खाती और बेहोश हो जाती। गांव की जो महिलाएं अंजनी को संभालने की कोशिश कर रही थीं, उनके खुद के आंसू नहीं रुक रहे थे। दो वर्ष की बेटी अवंतिका कुछ समझ तो नहीं पा रही थी, लेकिन मां को रोता देख उसके आंसू भी निकल रहे थे। गांव ही आसपास गांवों से आए ग्रामीण भी गमजदा थे।
..हम गरीब हैं, तभी नहीं दिया जा रहा ध्यान
अगर किसी बड़े आदमी या नेता के साथ ये हादसा हुआ होता, तो पोकलैंड मशीन सहित सभी इंतजाम फटाफट हो जाते। हम गरीब लोग हैं, इसके लिए ही कोई ध्यान नहीं दे रहा। ये कहना था, पोकलैंड मशीन न आने से खफा परिवारजन और ग्रामीणों का। तहसील प्रशासन की कार्यशैली से नाराज ग्रामीणों ने हंगामा भी किया।
सहयोग के चंदे से चली जेसीबी
हादसे के बाद परिवारजन ने खैराबाद से जेसीबी मंगाई। युवक को बोरवेल से निकालने का प्रयास शुरू हुआ। जेसीबी बंद न हो, इसके लिए ग्रामीणों ने सहयोग किया और चंदे से डीजल मंगाया। जानकारी पर पहुंचे थानाध्यक्ष ने आनन-फानन में दूसरी जेसीबी मंगाई। दोनों जेसीबी रात से पूरे दिन चलती रहीं। देर शाम तक युवक का पता नहीं चल सका था।