करेंगी चंद्र दर्शन, मांगेंगी अखंड सौभाग्य का वर
करवा चौथ आज पति की दीघार्यु के लिए महिलाएं रखेंगी व्रत। शनिवार की देर शाम तक बाजार में रही चहल-पहल।
सीतापुर : पति की दीर्घायु की कामना से किया जाने वाला करवा चौथ व्रत रविवार को मनाया जाएगा। पारंपरिक मान्यता अनुसार यह व्रत सुहागिन महिलाएं रखती हैं। पूरे दिन बिना कुछ खाए-पिए रहते हुए महिलाएं शाम को पूजा करती हैं। चंद्र दर्शन के बाद पति का मुख देखने के बाद ही व्रत का पारण करती हैं। इस व्रत को लेकर महिलाएं पूरे श्रद्धा विश्वास से रहती हैं।
करीब सप्ताह पूर्व से चल रही तैयारी :
व्रत को लेकर महिलाओं ने करीब एक सप्ताह पूर्व से ही तैयारियां शुरू कर दी थी। बाजार में खासा चहल पहल भी रही। महिलाओं ने स्वर्ण आभूषण, साड़ियां, कास्मेटिक के सामान, पूजन सामग्री, करवा आदि की खरीद की। खरीदारी का यह क्रम शनिवार की देर रात तक जारी रहा।
ब्यूटी पार्लर में रही भीड़ :
ब्यूटी पार्लरों में भी अच्छी खासी भीड़ रही। पार्लर में महिलाएं मेहंदी लगवाने व मेकअप करवाने पहुंचीं। सुबह से ही ब्यूटी पार्लर खचाखच भरे थे। कुछ ब्यूटी पार्लर संचालिकाओं ने मेकअप के लिए विशेषज्ञों को घरों में भी भेजकर कार्य कराया।
पतियों ने खरीदा उपहार :
पत्नियां पतियों की दीघार्यु के लिए करवा चौथ व्रत रखती हैं। इसलिए पति भी पत्नियों के लिए तरह तरह के उपहार भी भेंट करते हैं। शनिवार को बाजार में उपहार प्रतिष्ठानों पर पुरुषों ने जमकर खरीदारी की। एक उपहार विक्रेता ने बताया वह तरह तरह उपहार खरीदे।
बस यही प्रार्थना, सलामत रहे पति और परिवार
समीर पुरी, लहरपुर (सीतापुर)
करवा चौथ तो कल है, हम तो चार दिन से पति और परिवार की सलामती के लिए प्रार्थना कर रहीं हैं। बाढ़ की आफत से भगवान की राहत दे सकता है। यह कहकर लालापुरवा की जयदेवी ने अपना दर्द बयां किया।
उन्होंने बताया कि राशन, तेल व पूजा का सामान नहीं है। जैसे-तैसे दिन गुजर रहे हैं। बिना किसी इंतजाम के व्रत रखेंगे और पूजा करेंगे। जयदेवी व सरला ने भी अपनी दिक्कतें बताईं। उनका कहना था कि घर में राशन खत्म हो चुका है। गांव में पानी इतना भरा है कि बाहर जा नहीं पा रहे। कुछ खरीदारी हो तो त्योहार भी मनाया जाए। बैठने की जगह नहीं है, किसी तरह इंतजाम किया जाएगा।
बाढ़ की मार, कैसे मनेगा त्योहार :
गांव के रामप्रकाश, रामकिशोर, सरोज कुमार, रवींद्र का कहना था कि कुछ दिन बाद दीपावली है। रविवार को करवा चौथ है। गांव में भरा पानी सूखने में कई दिन लग जाएंगे। घर-गृहस्थी जमाने में समय लगेगा। फसल भी चौपट हो गई है। त्योहार कैसे मनाए जाएंगे यह तो सोचना भी मुश्किल हो रहा है। फिलहाल तो खाने-पीने और रहने की समस्या का समाधान ही नहीं हो पा रहा।