भेड़िये के खौफ से सुरक्षा घेरे में स्कूल का सफर
चित्र परिचय 12 एसआइटी 15 व 16 भेड़ियों का भय - लाठी-डंडे लेकर बच्चों को स्कूल
चित्र परिचय 12 एसआइटी 15 व 16
भेड़ियों का भय - लाठी-डंडे लेकर बच्चों को स्कूल छोड़ने जाते ग्रामीण - रात को फिर भेड़िया दिखने से दहशत
संवादसूत्र, थानगांव (सीतापुर) : चमारनपुरवा गांव में चप्पे-चप्पे पर भेड़ियों का खौफ फैला हुआ है। छह माह की दुधमुंही को निवाला बनाने के बाद से इस गांव के लोग दहशत के साये में जी रहे हैं। हालात यह है कि एक किलोमीटर दूर स्थित प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालय वसुदहा जाने के लिए बच्चों को सुरक्षा घेरे में ले जाया जाता है। लाठी-डंडों व बांकों से लैस ग्रामीण बच्चों को विद्यालय छोड़ने व अवकाश के समय लेने के लिए जाते हैं। उधर रात में दो घरों के सामने फिर से भेड़िया देखे जाने से ग्रामीण दहशत में हैं।
सदरपुर क्षेत्र के चमारनपुरवा गांव में भेड़िया मां के आंचल से छह माह की दुधमुंही को झपट्टा मारकर उठा ले गया था और उसे निवाला बना डाला था। बीते तीन माह के दौरान भेड़िये के हमले में एक बच्चे की आंख फूट गई थी, जबकि एक अन्य किशोरी जख्मी हो गई थी। गांव के दर्जन भर लोगों के बकरा व बकरियों को भेड़ियों का झुंड मारकर खा चुका है। गांव संबारी लाल ने बताया कि रात लगभग 10 बजे एक भेड़िये को दरवाजे पर देखा था, शोर मचाने पर वह भाग निकला। सनेही ने भी रात लगभग दो बजे दरवाजे पर खड़े भेड़िया को देखकर शोर मचाया तो वह भाग निकला। गांव के लोग अपने बच्चों को लाठी-डंडे व बांके लेकर वसुदहा स्थित विद्यालय सुबह छोड़ने व अवकाश के बाद लेने के लिए जाते हैं। भेड़ियों की दहशत महज चमारनपुरवा तक ही सीमित नहीं है बल्कि वसुदहा, राई, आमगौरिया, चकपुरवा व जांसेपुर गांव के लोग भी खौफजदा हैं। भेड़ियों की दहशत के चलते गांव की गलियों में सन्नाटा पसरा रहता है। डर के कारण बच्चों को लोग घरों में ही कैद रखते हैं। दिन के समय भी घरों के दरवाजे बंद रहते हैं। वर्जन
बाढ़ के चलते भेड़िये आ गए हैं। छोटे बच्चों को भेड़िये आसानी से शिकार बनाते हैं। गांव में टीम भेजी है जो लोगों को जागरूक करने के अलावा बच्चों को घर से अकेले न निकलने की सलाह दे रही हैं। अनिरुद्ध कुमार, डीएफओ