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15 वर्ष बाद तंबौर में घुसा बेकाबू घाघरा का पानी

सीएचसी जलमग्न सड़कों पर बह रहा है नदी का पानी।

By JagranEdited By: Published: Fri, 22 Oct 2021 11:25 PM (IST)Updated: Fri, 22 Oct 2021 11:25 PM (IST)
15 वर्ष बाद तंबौर में घुसा बेकाबू घाघरा का पानी
15 वर्ष बाद तंबौर में घुसा बेकाबू घाघरा का पानी

सीतापुर : बेहटा के बसंतापुर के पास घाघरा नदी का तटबंध कटा तो पानी तीन किलोमीटर दूर तंबौर कस्बे में पहुंच गया। नदी का पानी कस्बे में करीब 15 वर्ष बाद घुसा है। जानकार बताते हैं कि वर्ष 2006 में बाढ़ का पानी कस्बे तक आया था। उस समय पानी कम था। तटबंध कटने से कस्बे के कई मुहल्ले जलमग्न हो गए हैं। सड़कों पर पानी भरा है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भी डूबा हुआ है। मरीजों व तीमारदारों सहित चिकित्सकों, डाक्टरों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा। सड़क पर पानी बहने का असर आवागमन पर पड़ा है।

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छह मुहल्लों की 15 हजार से अधिक की आबादी प्रभावित

नदी का पानी तंबौर के छह मुहल्लों में भर गया है। अहमदाबाद गंज, नवाब साहबपुरवा, आजादनगर, आंबेडकरनगर, सिर्ष टोला उत्तरी व नरियन टोला की करीब 16 हजार आबादी प्रभावित है। घरों मे पानी भर जाने से लोग छतों पर रहे रहे हैं। नदी का पानी तंबौर-लहरपुर व तंबौर-रेउसा मार्ग पर बह रहा है।

15 वर्ष पहले आई थी हल्की बाढ़

कस्बे के बस स्टाप मैनेजर अजीज के मुताबिक 2006 में नदी का पानी कम मात्रा में आया था। एक-दो मुहल्ले ही प्रभावित थे। शिक्षक मुशीर अहमद का कहना है कि शुक्रवार को नदी के पानी ने कस्बावासियों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। 15 वर्ष पहले आई बाढ़ इससे कई गुना कम थी। मुन्ना मुजम्मिल के बताया कि इस बार पानी कई मुहल्लों में घुस गया है। हाजी सरवर के मुताबिक इस बार अधिक पानी आया है।

बाढ़ राहत केंद्र खाली, सड़क किनारे प्रभावित परिवार

सीतापुर : बाढ़ कटान पीड़ितों की मदद के लिए प्रशासन ने इंतजाम किए हैं। लेकिन पीड़ितों की मदद नहीं हो पा रही। कई बाढ़ चौकियां व राहत केंद्र बनाए गए हैं। लेकिन वहां कोई सुविधाएं नहीं हैं। कटान पीड़ित परिवार समेत सड़क के किनारे पालीथिन में रहने को विवश हैं। रेउसा-चहलारी मार्ग, गुरगुचपुर संपर्क मार्ग, बसंतापुर मार्ग, दूल्हामऊ मार्ग, जंगल टपरी संपर्क मार्ग के किनारे पीड़ित डेरा डाले हैं। नकहा-किशोरगंज संपर्क मार्ग के किनारे भी पीड़ित गृहस्थी समेत रह रहे हैं।

तहसीलदार बिसवां अविचल प्रताप सिंह ने बताया कि बाढ़ राहत केंद्र पर रहने की व्यवस्था की गई है। वहां कर्मचारियों को भी तैनात किया गया है। बाढ़ पीड़ित यहां रहने के लिए नहीं आ रहे। जबकि राजस्व कर्मियों से बार-बार सुरक्षित स्थान पर चलने के लिए कहा जा रहा है।

दो बाढ़ राहत शिविर :

बाढ़ कटान पीड़ितों की मदद के लिए दो बाढ़ राहत शिविर बने हैं। एक किशोरगंज दूसरा अमलौरा गांव में बनाया गया है। राहत शिविर में कोई बाढ़ पीड़ित मौजूद नहीं मिला। किशोरगंज बाढ़ राहत केंद्र पर दोपहर को राजस्व कर्मचारी भोजन करते मिले।

बाढ़ चौकियां तीन :

मारूबेहड़, किशोरगंज, रमुआपुर कालिका सिंह में बाढ़ चौकियां स्थापित की गई हैं। इनमें मारूेबहड़ में 35, किशोरगंज में 35 और रमुआपुर कालिका सिंह में पांच कर्मचारियों की तैनाती है। तैनात कर्मियों में 10 राजस्व कर्मी, 10 सफाई कर्मी व 15 अन्य विभागों के कर्मचारी तैनात हैं। मौके पर राजस्व कर्मी व सफाई कर्मी ही नजर आए। अन्य विभागों के कर्मचारी नहीं मिले।


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