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हादसे के बाद भी कांपता रहा चश्मदीद

महोली (सीतापुर) : किसी ट्रेन के गुजरने के वक्त किसी पुल को थरथराते हुए आपने खूब देखा होग

By JagranEdited By: Published: Sun, 25 Feb 2018 10:15 PM (IST)Updated: Sun, 25 Feb 2018 10:15 PM (IST)
हादसे के बाद भी कांपता रहा चश्मदीद
हादसे के बाद भी कांपता रहा चश्मदीद

महोली (सीतापुर) : किसी ट्रेन के गुजरने के वक्त किसी पुल को थरथराते हुए आपने खूब देखा होगा, लेकिन खड़ी हुई ट्रेन के आगे एक रेलकर्मी को कांपते हुए आज बहुत से लोग देख रहे थे। हरदोई जनपद के बेहटा गोकुल थाना क्षेत्र के खेरिया गांव का रहने वाला अर¨वद नेरी स्टेशन के समपार फाटक का गेटमैन और भीषण ट्रेन हादसे का इकलौता चश्मदीद है। अर¨वद की आंखों में खौफ और दहशत का भयावह मंजर एक बुरे सपने की तरह कैद होकर रह गया है।'दैनिक जागरण' से बातचीत के दौरान अर¨वद ने पूरे हादसे की आंखो-देखी बयां की।

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अर¨वद बताते हैं कि नेरी स्टेशन से हरी झंडी दिखाने के लिए वह अपनी समपार संख्या 33 की गुमटी के बाहर निकला था। करीब आधी मालगाड़ी ही क्रॉस हो पायी थी कि अचानक खड़-खड़ाहट की भीषण आवाज हुई और चारों तरह धुंआ और धुंध सी छा गया। कानों में तेज आवाज गूंज रही थी। इससे पहले की अर¨वद कुछ समझ पाता, भयानक और वजनदार चीज तेज आवाज के साथ उसकी गुमटी के पिलर में आकर टकरा गई। जमीन कांपती सी महसूस हुई और अर¨वद गश खाकर जमीन पर गिर पड़ा। थोड़ी ही देर में उसकी आंखें खुलीं तो धुंध और धुंआ छट चुका था। मालपटरी के तीन डिब्बे एक-दूसरे पर चढ़े हुए थे। चौथा डिब्बा गुमटी से करीब पचास मीटर आगे रेलवे ट्रैक पर जाकर उत्तर-दक्षिण की ओर मुड़ा खड़ा था। कई डिब्बों के पहिए टूट कर इधर-उधर बिखरे थे। गुमटी का पिलर, फर्श, चबूतरा, की-लॉक सिस्टम सब ध्वस्त हो चुका था। जहां तक नजर जा रही थी, पत्थर ही पत्थर फैले हुए थे। मालगाड़ी का ड्राइवर आधी मालगाड़ी लेकर आगे बढ़ चुका था। आनन-फानन में उसने मैंगलगंज में कार्यरत ट्रैकमैन सालिकराम को सूचना दी जिसके बाद ही अधिकारियों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हुआ।

नेरी स्टेशन तक उछलकर पहुंचे पत्थर

चित्र 25 एसआइटी 36

यह तस्वीर नेरी स्टेशन के प्लेटफार्म की है। यहां बिछी हुई पत्थरों की ये परत किसी पथराव में नहीं बल्कि ट्रेन हादसे के दौरान रेलवे-ट्रैक से चारों तरफ उछले पत्थरों की है। समपार गुमटी से नेरी स्टेशन की दूरी करीब सौ मीटर है। भले ही ट्रेन हादसा समपार गुमटी के करीब हुआ हो लेकिन हादसे के वक्त उछले पत्थर यहां भी अपनी भयावहता का एहसास करा रहे थे। रेलवे ट्रैक पर पड़े पत्थर ही नहीं पटरी के नीचे के गाटर तक टूट गए थे। रेलवे ट्रैक को बहाल करने के लिए रेलवेकर्मी जूझ रहे थे और इलाकाई तमाशबीन मालगाड़ी के उल्टे-पलटे डिब्बों के सामने सेल्फी लेने में मशगूल थे।

तो पहियों के जाम होने से हुआ हादसा !

ट्रेन हादसा क्यों और कैसे हुआ, रेल अधिकारी अभी कुछ भी कहने से बच रहे हैं। लेकिन आशंका जताई जा रही है कि पहियों के अचानक जाम हो जाने से यह भयानक हादसा घटित हुआ है। फिलहाल इसकी जांच की जा रही है। अधिकारी अभी कारणों के संबंध में कोई भी स्पष्ट जानकारी नहीं दे सके हैं।


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