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नाले चोक, जलभराव व गंदगी से संक्रामक रोगों का खतरा

नगर पालिका क्षेत्र में 25 वार्ड हैं। नागरिक समस्याओं की हो रही अनदेखी। कुल 11 नाले बने हैं नगर क्षेत्र में जो कि सिल्ट कूड़ा व गंदगी से पटे।

By JagranEdited By: Published: Fri, 22 Oct 2021 11:18 PM (IST)Updated: Fri, 22 Oct 2021 11:18 PM (IST)
नाले चोक, जलभराव व गंदगी से संक्रामक रोगों का खतरा
नाले चोक, जलभराव व गंदगी से संक्रामक रोगों का खतरा

प्रदीप मिश्र, सीतापुर :

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नगर पालिका परिषद के सीमा क्षेत्र में 25 वार्ड हैं, जिनमें कुल आबादी 50 हजार से ज्यादा है। तकरीबन हर वार्ड में नाले-नालियां गंदगी से अटी हुई हैं। दरअसल, जलनिकासी की समस्या यहां लंबे समय से है। जगह-जगह जलभराव व गंदगी से संक्रामक रोगों की आशंका है। वहीं, जिम्मेदार नाला सफाई पर ध्यान नहीं दे रहे। बारिश का मौसम भी निकल गया, मगर नाले की सफाई नहीं हुई। डेंगू, मलेरिया जैसे संक्रामक रोग पैर पसार रहे है। कीटनाशक छिड़काव व फागिग के प्रति भी गंभीरता नहीं दिखाई जा रही। आलम यह है कि लोगों की शिकायतों को भी नजरअंदाज किया जा रहा है।

नगर के सभी नाले गंदगी से पटे हैं। दधीचि कुंड से सीतापुर रोड तक बना नाला सबसे बड़ा नाला है। छह वर्ष पहले इसका निर्माण कराया गया था, जो कि बनने के बाद एक मर्तबा भी साफ नहीं कराया गया। मेला मैदान, शेषनाथ मंदिर के निकट, रेलवे स्टेशन व महर्षि दधीचि इंटर कालेज के पास जलभराव व गंदगी बनी रहती है। चंदूपुर में चोक नाली, गंदगी व जलभराव के कारण लोगों का निकलना मुश्किल है। सीएचसी के बाहर यात्री प्रतीक्षालय के निकट भी गंदगी के ढेर हैं।

ईओ नगर पालिका परिषद आरपी सिंह ने कहा कि मुझे इस विषय में कुछ नहीं कहना है। आप अपने हिसाब से लिख दीजिए। एडीएम राम भरत तिवारी ने बताया कि नगर पालिका अधिकारियों को साफ-सफाई के लिए निर्देशित करेंगे। इसकी जांच भी कराएंगे। लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ कार्रवाई भी होगी।

किसी नाले की नहीं हुई सफाई :

नगर में छोटे-बड़े कुल 11 नाले बने हैं, जो कि सिल्ट, कूड़ा व गंदगी से पटे हैं। बारिश से पूर्व एक भी नाले की सफाई नहीं कराई गई, जबकि बरसात से पहले सफाई के निर्देश शासन स्तर पर जारी हुए थे। गंदगी से मच्छर पनप रहे हैं। फागिग व दवा छिड़काव भी नहीं किया जा रहा।

जलनिकासी न होना बड़ी समस्या :

तहसील व सीएचसी के बीच सड़क के दोनों ओर तालाब थे। एक तालाब को पाटकर भवन बना दिए गए। नाले पर भी अतिक्रमण कर लिया गया। इससे सीता कुंड एक, दो, तीन व चार (चार वार्ड) की जलनिकासी बाधित है। बारिश के समय पानी घरों में भर जाता है।


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