नहीं आएगी दुर्गध, तालाबों का पानी होगा शुद्ध
जिले की छह नगर निकायों के तालाबों नालों में इस्तेमाल होगी तकनीक। दूषित पानी का प्राकृतिक तरीके से किया जाएगा शुद्धीकरण।
सीतापुर : शहरों में बहते नालों, नदियों व तालाबों में गंदा व दुर्गधयुक्त पानी नहीं रहेगा। अब इनमें साफ सुथरा आक्सीजन युक्त पानी होगा, जिसमें न तो दुर्गंध आएगी और न पानी में कचरा ही रहेगा। इसके लिए अपर निदेशक क्षेत्रीय नगर एवं पर्यावरण अध्ययन केंद्र ने पानी को शुद्ध करने के लिए प्लान तैयार किया है। जिले की छह नगर निकायों के नालों व तालाबों के पानी को शुद्ध करने में बायो-फाइटो रेमेडिएशन (जैविक-पादप उपचार) तकनीक का प्रयोग किया जाएगा। इस तकनीक से तालाबों व नालों का पानी शुद्ध तो होगा ही साथ ही पानी में आक्सीजन की मात्रा भी बढ़ेगी।
डीपीएम पर्यावरण अध्ययन केंद्र संजीत यादव ने बताया कि बायो-फाइटो रेमेडिएशन तकनीक अपनाने के लिए सिधौली के तालाब का प्रस्ताव स्वीकृत हो चुका है। खैराबाद, लहरपुर, हरगांव, महमूदाबाद के प्रस्ताव की स्वीकृति मिल जाएगी। स्वीकृति मिलते ही कार्य भी शुरू हो जाएगा।
इन निकायों में अपनाई जाएगी बायो-फाइटो रेमेडिएशन तकनीक :
नालों व तालाबों के पानी को शुद्ध करने के लिए नगर पालिका सीतापुर, महमूदाबाद, लहरपुर व खैराबाद एवं नगर पंचायत हरगांव व सिधौली में बायो-फाइटो रेमेडिएशन तकनीक का प्रयोग किया जाएगा। जिसका खर्चा पालिका वहन करेगी।
इन स्थानों पर होगा इस्तेमाल :
- नगर पंचायत सिधौली- खेटवा तालाब।
- नगर पंचायत हरगांव-दुबे का तालाब।
- नगर पालिका परिषद महमूदाबाद का बेहटी तालाब।
- नगर पालिका परिषद लहरपुर- मुसमनिया तालाब।
- नगर पालिका परिषद खैराबाद- कुड़िया तालाब।
- नगर पालिका परिषद सीतापुर- ऊंचा टीला नाला। यह होंगे काम :
बायो-फाइटो रेमेडिएशन तकनीक में प्राकृतिक तरीकों से पानी को शुद्ध किया जाता है। आवश्यकता पड़ने पर ट्रीटमेंट प्लांट भी लगाया जा सकता है। इस तकनीक के तहत नालों व तालाबों में फिल्टर लगाया जाएगा। साथ ही किनारे ऐसे पौधे लगाए जाएंगे, जो कि पानी में आक्सीजन की मात्रा को बढ़ाएंगे। हानिकारक तत्वों को अवशोधित करेंगे।