मरीजों के निवाले पर कमाई का 'खेल'
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अनुपम सिंह, सीतापुर :जिला अस्पताल में मरीजों को दिए जाने वाले खाने की गुणवत्ता काफी खराब है। कमाई के लिए खाने का ठेका लेने वाले मरीजों की सेहत सुधारने के बजाय उनके साथ खिलवाड़ कर रहे है, लेकिन जिम्मेदार चुप्पी साधे हैं। दैनिक जागरण की पड़ताल में चौंकाने वाली बात सामने आई है। टीम करीब 12 बजे जिला अस्पताल के पीछे बने रसोईघर में पहुंचती है। यहां पर संजय और राजेंद्र नाम के भंडारी खाना पका रहे थे। संजय रोटियां बेल रहा था और राजेंद्र रोटी गैस चूल्हे पर पका रहा था। कैमरे का फ्लैश चमका तो दोनों सकपका गए। काफी पूछने पर गोलमोल जवाब देते हुए बचने की कोशिश की। रसोईघर का नजारा इस बात की तस्दीक कर रहा था मरीजों को घटिया खाना परोसा जा रहा है। रोटी बेल कर फर्स पर खुले में डाली गई थी, जो रोटियां पक भी चुकी थीं, वह भी खुले में रखी थी। चावल भी खुला रखा था, जिस पर मक्खियां भनभना रही थी। दूध के पैकेट फर्स पर पड़े थे। सब्जी बनाने में इस्तेमाल किया जाने वाला मसाला खुला रखा था। रसोईघर में गंदगी की भरमार थी। सूत्र बताते हैं कि रसोईघर की हालत रोज ऐसे ही रहती है। मरीजों को गुणवत्तापूर्ण खाना नहीं दिया जा रहा है। खाने में भी कमाई का खेल होता है। कई बार इसको लेकर शिकायत भी की गई, लेकिन जिम्मेदारों ने इस पर ध्यान नहीं दिया। लिहाजा वही दस्तूर जारी है। मरीजों को दी जाने वाली दाल में पानी अधिक होता है। कई मरीजों ने भी पड़ताल के दौरान घटिया खाने की शिकायत भी की।
रोटियां दांत से कटती तक नहीं
पइेंग वार्ड में भर्ती मरीज अमित ने बताया कि सुबह-शाम खाना तो दिया जाता है, लेकिन रोटी सूखी होती है। दांत से कटती तक नहीं है, लेकिन जो मिलता है वही ले लेता हूं। अच्छा खाना न होने की वजह से घर से मंगाकर खाया जाता है। चार दिन से भर्ती हूं, दूध मिला ही नहीं
सर्जिकल वार्ड में भर्ती बुजुर्ग रामदुलारे ने कहा कि खाना बहुत अच्छा नहीं मिलता है, लेकिन क्या करुं, जो मिलता है वही खा लेता हूं। रोटियां कच्ची रहती है। चार दिनों से भर्ती हूं, दूध मिला ही नहीं। -1 मरीज को रोजाना 500 ग्राम दूध देने का नियम है
-15 किलो आंटे की रोजाना रोटियां पकती है
-60 से 70 मरीजों औसतन रोजाना खाना देने दिया जाता है
-एक बार में एक मरीज के खाने पर 18 रुपए 75 पैसे देती है सरकार मरीजों को दिया जाता है अच्छा खाना : जमाल
जिला अस्पताल में मरीजों के खाने का ठेका लेने वाले जमाल बताते हैं कि खराब खाना नहीं दिया जाता है, जितने पैसे मिलते है उसी के अनुसार अच्छा खाना देने की कोशिश की जाती है। मरीज की शिकायत है तो इस पर मैं क्या कहूं। मुझसे किसी मरीज ने शिकायत नहीं की है। हम शाम को राउंड लेते है। हो सकता है किसी मरीज को खाना अच्छा न लगा हो। रसोईघर को भी देख लेता हूं। सब्जी की गुणवत्ता सुधारने के लिए मैने बोला भी था।
डा. अनिल अग्रवाल, सीएमएस