लॉकडाउन में जिदगी को मिला सु-संस्कारों का गहना
चित्र परिचय- 23एसआइटी-11 व 12 जिदादिली को सलाम - खुद को अपने घरों में सीमित कर कोरोना से जंग में निभाई अहम भूमिका - जिदगी में कई बदलाव स्वच्छता बढ़ी कटुता घटी नशे से भी छुटकारा गोविद मिश्र सीतापुर पापा खाना लग गया है.. हैंडवॉश कर लीजिए.. 20 सेकंड तक साबुन को कायदे से हाथ पर मलिएगा.. याद रखिएगा कीटाणु तभी मरेंगे.. पापा अब टीवी छोड़िए और हाथ साफकर जल्दी आइए.. मुझे बहुत भूख लगी है! जी हां पिछले एक महीने में लोगों की जिदगी में बदलने वाला यह सबसे बड़ा सच है। सबको स्वच्छता का यह बड़ा मंत्र समझ आ गया है। हाथ धुलने में अब कोताही नहीं होती। इसे तो सबने हथियार मान लिया गया है।
सीतापुर:पापा, खाना लग गया है.. हैंडवॉश कर लीजिए.. 20 सेकंड तक साबुन को कायदे से हाथ पर मलिएगा.. याद रखिएगा, कीटाणु तभी मरेंगे.. पापा, अब टीवी छोड़िए और हाथ साफकर जल्दी आइए.. मुझे बहुत भूख लगी है! जी हां, पिछले एक महीने में लोगों की जिदगी में बदलने वाला यह सबसे बड़ा सच है। सबको स्वच्छता का यह बड़ा मंत्र समझ आ गया है। हाथ धुलने में अब कोताही नहीं होती। इसे तो सबने हथियार मान लिया गया है। जिन वस्तुओं पर बार-बार हाथ लगता है, उन्हें भी सैनिटाइज करने की प्रथा चल पड़ी है। यह तो था स्वच्छता संस्कार। लॉकडाउन में हमने तो और भी काफी कुछ पाया है। सबने घरों में रहकर अनुशासन के 'अस्त्र' से कोरोना की चेन तोड़ने में योगदान किया है। इतना ही नहीं, बीते एक महीने में जिस तरह लोगों को अपनों के करीब लाकर खड़ा किया है, वह भी बड़े सपने से कम नहीं है। भागदौड़ भरी जिदगी में सुकून के यह पल हमेशा याद रहेंगे। यही नहीं, बच्चों ने भी अपनी क्रिएटिविटी को निखारा है। अपनी कला के जरिए पोस्टर बनाकर लोगों को घरों में रहने के लिए प्रेरित किया। फेसबुक, वॉट्सएप पर बच्चों की कला और वीडियो संदेश की भी खूब गूंज रही। घरों में खूब व्यंजन बने। चटपटी चाट से लगाकर प्यार की मिठास भरी जलेबी ने जुबां को आनंद दिया। यही नहीं, चटकारेदार टिक्की, गोलगप्पे और जलेबी दुकान पर नहीं, फेसबुक-वॉट्सएप के स्टेटस में सजने लगे। इनसेट
पढ़ाई का यह नया अंदाज
लॉकडाउन में सब घरों पर हैं। नए सत्र में स्कूल भी नहीं खुले। इस वजह से घर पर मौजूद 'मोबाइल सर' ही बच्चों के शिक्षक बन गए। शिक्षक अपने घर से पाठ पढ़ाते हैं तो बच्चे अपने घर में सबकुछ नोट करते हैं। गजब का क्लास रूम चल रहा है इन दिनों। हर किसी के लिए यह नया अनुभव है। इनसेट
नशे की लत से भी छुटकारा
लॉकडाउन में काफी पाबंदियां भी हैं। ऐसे में तमाम लोगों को नशे से भी निजात मिल गई है। बाईपास पर रहने वाले रामेंद्र (बदला नाम) हर रोज अपने मित्रों के साथ जाम लड़ाते थे। अब यह नहीं हो रहा। इससे उनका परिवार खुश है। इस वजह से उन्होंने भी यह ठान लिया है कि आगे अब नशा नहीं।