आइईएस में सीतापुर के होनहारों का भी जलवा
सीतापुर : भारतीय इंजीनिय¨रग सेवा (आइईएस) की परीक्षा के नतीजों में सीतापुर जिले के होनहारों का भी जलव
सीतापुर : भारतीय इंजीनिय¨रग सेवा (आइईएस) की परीक्षा के नतीजों में सीतापुर जिले के होनहारों का भी जलवा रहा है। इस परीक्षा में बाजी मारने वाले जिले के होनहार आज इसरो, भाभा परमाणु अनुसंधान जैसे क्षेत्र में अपनी सेवाएं भी दे रहे हैं। इनके माता-पिता और छोटे व बड़े भाई-बहन के साथ ही मुहल्ला एवं गांववासी भी इनकी सफलता से फूले नहीं समा रहे हैं। जिले से आइईएस परीक्षा पास करने वालों में खैराबाद के अली वारिस खान, शहर के हेमपुरवा के उत्कर्ष शुक्ला, सिविल लाइन के अर्पित ¨सह और नैपालापुर के विपुल बाजपेयी शामिल हैं। इन लोगों ने बेहतर रैंक हासिल कर अपनी प्रतिभा का जौहर दिखाया है, यही कारण है कि आज बेटे की सफलता से माता-पिता के साथ ही घर के हर सदस्य का सिर गर्व से ऊंचा हो रहा हैं।
किसान के बेटे उत्कर्ष का कमाल
उत्कर्ष शुक्ला ने आइईएस की परीक्षा में 58 वीं रैंक पाई है। ये अगस्त 2018 से मुंबई भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र में वैज्ञानिक अधिकारी पद पर नियुक्त हैं। उत्कर्ष ने बताया कि उन्होंने महर्षि विद्या मंदिर इंटर कॉलेज से इंटर किया, फिर घर पर ही इंजीनिय¨रग की तैयारी की। एआइईईई की परीक्षा पास कर वर्ष 2016 में एनआइटी दुर्गापुर पश्चिम बंगाल से सिविल इंजीनिय¨रग से स्नातक की डिग्री प्राप्त की। वर्ष 2017 में दिल्ली में को¨चग की और वहीं भारतीय इंजीनिय¨रग सेवा परीक्षा-2018 में आवेदन किया था। जिसमें उन्होंने सफलता अर्जित की है। इन्हें क्रिकेट व बालीवॉल खेलने का शौक है। शहर के नारायण नगर हेमपुरवा में रह रहे इनके पिता रामगोपाल शुक्ला मूलत: एलिया ब्लॉक के पड़रखा गांव के निवासी हैं। रामगोपाल ने बताया उनके पास 20 बीघे खेती है, जिसमें वे किसानी करते हैं। रामगोपाल व उनकी पत्नी पुष्पा शुक्ला भी स्नातक हैं। उत्कर्ष के छोटे भाई वैभव शुक्ला दिल्ली में आइईएस की तैयारी कर रहे हैं।
-अर्पित ने घर वालों से ली प्रेरणा
लहरपुर के इब्राहिमपुर गांव के अर्पित ¨सह की आइईएस परीक्षा में 77 वीं रैंक है। वर्तमान में ये भारत पेट्रोलियम में महाराष्ट्र में इंजीनियर हैं। 26 वर्षीय अर्पित के घर में चाचा, बड़े भाई सहित कई लोग इंजीनियर ही हैं। अर्पित बताते हैं कि चाचा व भाईयों को देखकर ही वे भी इंजीनियर बनने का ख्वाब देखते थे, जो मेहनत व लगन से पूरा हो गया है। उन्होंने बताया कि उनके पिता सकेंद्र ¨सह भारतीय दूर संचार निगम में एकाउंट ऑफीसर से रिटायर हैं और माता अमिता ¨सह ¨हदू कन्या महाविद्यालय में लाइब्रेरी में वरिष्ठ कर्मी हैं। चाचा आशेंद्र ¨सह रायपुर में इंजीनियर हैं। बड़े भाई राघवेंद्र ¨सह जगदीशपुर और प्रतीक ¨सह जल निगम में इंजीनियर हैं। -बेटे की सफलता से मां-बाप निहाल
बेटे अली वारिस खान की सफलता से गदगद उनके पिता डॉ. मेराजुद्दीन खान ने बताया वे अपने बेटे की तरक्की से बेहद खुश हैं। बताया कि बेटा अली वारिस खान दो बेटियों पर इकलौता है। डॉ. मेराजुद्दीन खान परसेंडी के सूहेतारा पूर्व माध्यमिक विद्यालय में सहायक अध्यापक हैं। अली वारिस खान अहमदाबाद में इसरो में हैं। इन्होंने दूरभाष पर बताया कि इसी साल उन्होंने इसरो की वैज्ञानिक-सी (ग्रुप-1) संवर्ग की परीक्षा पास की है और उनका चयन वैज्ञानिक ऑफीसर के पद पर चयन हुआ है। उसने 25 सितंबर को ज्वाइन किया है। इन्हें बैड¨मटन, शिक्षण का शौक है। मां रुहाना परवीन बालीवॉल में अंतर विश्विद्यालयी में कैप्टन रही हैं, इन्होंने अपनी प्रतिभा से कई पदक जीते हैं। सफलता को चूमने वाले अली वारिस खान ने बताया कि उन्होंने वर्ष 2017 में केएनआइटी सुल्तानपुर से बीटेक किया और फिर आइईएस में 16 वीं रैंक प्राप्त की है। -विपुल को मिली 35वीं रैंक
शहर से सटे आदर्शनगर सेक्टर-1 नैपालापुर निवासी विपुल बाजपेयी ने आइईएस परीक्षा में 35 वीं रैंक पाई है। इनकी सफलता से पिता कमलाकर बाजपेयी अपने जीवन की सफलता मान रहे हैं। उन्होंने बताया कि वे बैं¨कग क्षेत्र में थे, अपना कार्य देखने के साथ विपुल की पढ़ाई पर भी ध्यान देते थे। बताया कि चार भाई-बहनों में विपुल सबसे छोटे हैं। ये वर्तमान में भारत सरकार के उपक्रम इलेक्ट्रॉनिक कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया हैदराबाद में कार्यरत हैं। वर्ष 2016 में बीटेक करने के बाद इन्होंने बीएचयू से आइआइटी की थी।