कठिना के उद्धार का संकल्प, सफाई अभियान का आगाज
पूजन अर्चन के बाद ग्रामीणों ने की नदी की सफाई
सीतापुर : सुबह के नौ बजे अपनी कठिना को साफ करने के लिए ग्रामीण जुट चुके हैं। पूजन-अर्चन की तैयारियां चल रहीं हैं। करीब सवा नौ बजे के करीब प्रगतिशील किसान कमलेश सिंह, वेदरतन मिश्र, कमलेश पांडेय, आरएमपी महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. जयवीर सिंह समेत क्षेत्र के तमाम ग्रामीण पूजन में शामिल हुए। इसके बाद कमलेश सिंह की अगुवाई में ग्रामीण नदी में उतरे तो घुटनों तक भी पानी नहीं था। पहले दिन नदी से खरपतवार हटाई गई। इसके बाद प्रवाह को रोकने वाली वस्तुएं भी हटाई गईं। उन्होंने बताया कि काफी मात्रा में रुई की रजाई और गद्दे इस स्थान से निकाले गए। यही नहीं, पशुओं के कंकाल आदि भी निकले। उन्होंने बताया कि अगला पड़ाव लोहारखेड़ा होगा।
समिति का गठन
कठिना नदी बचाओ समिति का भी गठन कर दिया गया है। इसमें आसपास के ग्रामीणों को ही सदस्य बनाया गया है। समिति का अध्यक्ष झब्बू सिंह, उपाध्यक्ष सुरेंद्र, मंत्री गुड्डू यादव के अलावा संयोजक की जिम्मेदारी कमलेश सिंह बनाए गए हैं। आशुतोष पांडेय, कमलेश पांडेय और वेदरतन संरक्षक की जिम्मेदारी निभाएंगे। हम शपथ लेते हैं..
नदी में उतरकर ग्रामीणों ने सबसे पहले शपथ ली। कठिना के जल से आचमन किया और कहा कि हम मां कठिना को सजल, निर्मल व स्वच्छ बनाए रखेंगे। जब-जब समिति को आवश्यकता पड़ेगी, हम आकर कारसेवा करेंगे। वर्जन
'पहले दिन ही ग्रामीणों ने काफी उत्साह दिखाया है। सभी वर्ग के लोगों ने पूरे मनोयोग से नदी की सफाई की है। यह उत्साह आगे भी जारी रहेगा। हमें पूरी उम्मीद है कि अपनी मां कठिना को फिर से सदानीरा बना देंगे।'
- कमलेश सिंह, जिला संयोजक लोकभारती
'आज पृथ्वी का जन्मदिन है। आज के ही दिन सृष्टि का प्रारंभ हुआ है। इसी वजह से यह कार्यक्रम तय किया गया। वायु, जल प्रदूषण पृथ्वी को हानि पहुंचा रहे हैं। आज हम सबने संकल्प लिया है कि पर्यावरण बचाने के लिए योगदान करूंगा।'
- डॉ. जयवीर सिंह, प्राचार्य आरएमपी महाविद्यालय
'कठिना को सदानीरा बनाने की मुहिम में हम सब साथ हैं। यह चुनौतीपूर्ण जरूर है लेकिन, हमारी मेहनत के परिणाम जल्द ही दिखने लगेंगे। वैसे, हर किसी को जल संरक्षण और नदियों के संरक्षण के लिए अपना योगदान अवश्य देना चाहिए।'
- नीरज सिंह
'मां कठिना को बचाने की इस मुहिम से जुड़ना हमारा सौभाग्य है। हम सब तन, मन, धन से इस मुहिम के प्रति समर्पित रहेंगे। हमसब एकजुट होने से ही नदी के संरक्षण की राह खुलेगी।'
सुरेंद्र सिंह