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सीएम को बुलाने पर अड़े रहे परिजन, सहमति के बाद अंतिम संस्कार

कमिश्नर और आइजी आए तब बनी बात आज परिवारजन करेंगे मुख्यमंत्री से मुलाकात

By JagranEdited By: Published: Sat, 19 Oct 2019 11:27 PM (IST)Updated: Sat, 19 Oct 2019 11:27 PM (IST)
सीएम को बुलाने पर अड़े रहे परिजन, सहमति के बाद अंतिम संस्कार
सीएम को बुलाने पर अड़े रहे परिजन, सहमति के बाद अंतिम संस्कार

सीतापुर : हिदू समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष कमलेश तिवारी की हत्या के बाद शव का अंतिम संस्कार कराने के लिए परिवारजन को मनाने में अफसरों को पसीना आ गया। रात करीब तीन बजे शव के महमूदाबाद लाए जाने के बाद से ही जिला और पुलिस प्रशासन के अधिकारी परिवारजन से शव का अंतिम संस्कार करने के लिए मानमनौवल करते रहे लेकिन, परिवार मुख्यमंत्री को बुलाने की मांग पर अड़ा रहा। करीब 11 घंटे से भी अधिक समय तक चली तनावपूर्ण स्थितियों से निजात कमिश्नर लखनऊ मुकेश कुमार मेश्राम और आइजी जोन एसके भगत के महमूदाबाद आने के बाद मिला। दोनों अधिकारियों ने रविवार को परिवारजन की मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ से मुलाकात के साथ ही पुत्र को सरकारी नौकरी समेत नौ मांगों के सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए। इसके बाद परिवारजन अंतिम संस्कार करने के लिए राजी हुए। दोपहर बाद ज्येष्ठ पुत्र सत्यम तिवारी ने मुखाग्नि दी।

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नाका पुलिस पर अभद्रता का आरोप लगा बिलखती रही मां

कमलेश तिवारी का शव महमूदाबाद लाए जाने पर उनकी मां ने आपत्ति जताई। वह नाका पुलिस पर खूब बरसीं और उत्पीड़न का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा कि पुलिस ने उनके पोते और बहू तक को नहीं बख्शा। उनके साथ बदसलूकी की गई। इसके बाद शव को भी जबरदस्ती महमूदाबाद भेज दिया गया। इसी से आक्रोशित मां मुख्यमंत्री को महमूदाबाद बुलाने की जिद पर अड़ गईं। एसडीएम महमूदाबाद गिरीश झा और सीओ उदय प्रताप सिंह ने उन्हें समझाने का काफी प्रयास किया लेकिन बात नहीं बनी। एडीएम, डीएम और विधायक की भी नहीं सुनी

घटना से आक्रोशित परिवारजन अंतिम संस्कार न करने की जिद पर अड़े थे तो पुलिस प्रशासन भी किसी तरह मामला सुलझाने में लगा था। सुबह करीब साढ़े सात बजे एडीएम विनय कुमार पाठक भी एसडीएम बिसवां के साथ महमूदाबाद पहुंचे। उन्होंने भी परिवार को समझाया लेकिन नतीजा सिफर रहा। इसके बाद डीएम अखिलेश तिवारी और एसपी एलआर कुमार ने भी घर पर जाकर कोशिश की। इन दोनों ने अलग-अलग समय में तीन बार बातचीत की। कुर्सी विधायक साकेंद्र वर्मा भी परिवार वालों को मना नहीं पाए। एक बार तो प्रशासन ने ही विधायक को लौटाया

डीएम और एसपी कमलेश तिवारी के घर पहुंचे तो परिवारजन खासे आक्रोशित थे। इसी बीच कुर्सी विधायक भी वहां आ गए। इस पर डीएम ने विधायक से स्थिति का हवाला देकर वापस जाने का अनुरोध किया। विधायक ने भी डीएम की बात मान ली और लौट गए। अफवाह के बाद पनपा आक्रोश

सुबह के वक्त सोशल मीडिया पर एक आपत्तिजनक टिप्पणी की जानकारी लोगों को हुई तो आक्रोश पनप गया। अचानक भीड़ बढ़ने लगी। इस दौरान एएसपी और लोगों में झड़प भी हुई। खैर, बाद में बात बन गई। एएसपी ने लोगों को समझाकर वापस कर दिया। इन मांगों पर बनी सहमति

- रविवार शाम को परिवारजन की मुख्यमंत्री से मुलाकात।

- एसआइटी व एनआइए से जांच। ये जांच आइजी स्तर के अधिकारी के अधीन होती है।

- 48 घंटे के भीतर परिवारजन की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी।

- परिवारजन को आर्थिक सहायता मुहैया कराई जाएगी।

- कमलेश के बड़े बेटे सत्यम तिवारी को सरकारी नौकरी की अनुशंसा।

- सुरक्षा के लिए परिवारजन के आवेदन पर शस्त्र लाइसेंस दिया जाएगा।

- लखनऊ में एक आवास की व्यवस्था भी परिवारजन के लिए होगी।

- एडीएम व एएसपी की संयुक्त टीम करेगी पुलिसकर्मियों के रोल की जांच। बयान दर्ज होने के बाद होगी कठोर कार्रवाई। वार्ता के बाद बोले कमिश्नर

'परिवारजन से विभिन्न मांगों के संबंध में वार्ता हो गई है। परिवार को हर संभव सहायता मुहैया कराने के लिए सरकार से अनुशंसा की जाएगी।'

- मुकेश कुमार मेश्राम, कमिश्नर लखनऊ


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