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सियासी सहारा फिर भी मवेशी बेसहारा

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By JagranEdited By: Published: Thu, 11 Apr 2019 11:23 PM (IST)Updated: Thu, 11 Apr 2019 11:23 PM (IST)
सियासी सहारा फिर भी मवेशी बेसहारा
सियासी सहारा फिर भी मवेशी बेसहारा

जितेंद्र अवस्थी, सीतापुर: हर ओर चुनावी बयार बह रही है। जीत का सेहरा सिर पर सजाने के लिए वादों का झुनझुना भी बजाया जा रहा है। हर कोई अन्नदाता के दर्द को बांटने के लिए लॉलीपॉप तो दे रहा है। लेकिन अन्नदाता की मेहनत पर ग्रहण बने बेसहारा पशु मुद्दे से ही गायब हैं। कोई भी नेता, कोई भी दल इस समस्या को लेकर कुछ बोल नहीं रहा। खेतों में लहलहाती मेहनत पर बेसहारा पशुओं का कहर बदस्तूर जारी है। चौकीदार बनकर रात दिन खेतों में गुजारने के बाद भी अन्नदाता की जरा सी चूक से उसकी मेहनत पर पानी फिर जाता है। पशुओं से निजात के लिए मची हाय तौबा का भी कोई फायदा नहीं होता। अन्नदाता अन्न के लिए यहां से वहां परेशान घूम रहा है। खेतों में, सड़कों पर व बाजारों में घूम रहे बेसहारा पशु किसानों के लिए आफत बन गए हैं। पानी, सूखा, बाढ़ आदि से बची फसल बेसहारा पशुओं से नहीं बच पाती। खेतों में लहलहाती फसल को बचाने के लिए अन्नदाता खेतों में रतजगा भी करता है। झोपड़ी व मचान बनाकर फसल की रखवाली करता है। मिश्रिख, सिधौली, गोंदलामऊ, औरंगाबाद, पिसावां, महोली, बिसवां, लहरपुर, महमूदाबाद, भदफर, तंबौर, बिसवां, मानपुर आदि क्षेत्र में अन्नदाता पशुओं के आगे बेबस नजर आ रहा है। आरोपित भी बने अन्नदाता

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बेसहारा पशुओं ने किसानों की फसल ही चट नहीं की, कई गांवों के किसानों को आरोपी भी बना दिया। पशुओं से परेशान किसानों ने उन्हें सरकारी भवनों में बंद करना शुरू किया तो प्रशासन ने सैकड़ों किसानों पर मुकदमा लिखा दिया। मिश्रिख के गांव निरहन, सिधौली के जुझौर, महोली के नगर पंचायत कार्यालय, पिसावां में सामुदायिक भवन, मछरेहट आदि क्षेत्रा में किसानों ने बेसहारा पशुओं को सरकारी स्कूलों में बंद कर दिया था। कई हुए चोटिल, कई की मौत

बेसहारा पशु किसानों के लिए मुसीबत तो बने ही। सड़कों से गुजरने वाले राहगीरों को भी दर्द दे दिया। रात के समय होने वाली दुर्घटनाओं में अधिकांश मामले सड़कों पर घूम रहे पशुओं के टकराने से होती हैं। बेसहारा पशुओं की चपेट में आकर कई दर्जन लोग चोटिल हो चुके हैं। कई की जान भी जा चुकी है। चौक-चौराहों पर कब्जा, भवनों में डेरा

बेसहारा पशुओं के कहर से किसान तो कराह ही रहे हैं। नगरों के नागरिक भी परेशान है। चौक- चौराहे, तहसील परिसर, कलेक्ट्रेट, रेलवे स्टेशन, अस्पताल, बस स्टाप आदि सभी जगहों पर बेसहारा पशुओं का डेरा रहता है। बेसहारा पशुओं की चपेट में आकर अक्सर लोग चोटिल भी हो जाते हैं। नंबर गेम

जिले में घूमते बेसहारा पशु

- 20 हजार (पशुपालन विभाग के अनुसार)

- 50 हजार (ग्रामीण आंकड़ों के अनुसार)

चिह्रित पशु आश्रय स्थल - 60

निर्मित आश्रय स्थल - 36

संचालित आश्रय स्थल - 16

गोशाला - सीतापुर पिजरापोल सोसायटी नगर निकायों में बेसहारा पशु

नगरों में भी बेसहारा पशु समस्या का सबब हैं। गलियों में तो जानवरों की धमा चौकड़ी दिखती है। चौक चौराहों, सरकारी भवनों में भी बेसहारा पशु कब्जा जमाए दिखते हैं। निकायों में बेसहारा पशुओं की संख्या कई हजार है लेकिन जिम्मेदारों ने कागजों पर महज 1084 जानवर ही दिखाए हैं।

नगरपालिका पशुओं की संख्या

सीतापुर 60

मिश्रिख 525

बिसवां 0

लहरपुर 2

महमूदाबाद 87

खैराबाद 0 नगर पंचायत पशुओं की संख्या

सिधौली 58

महोली 300

तंबौर 0

पैंतेपुर 7

हरगांव 45


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