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औद्योगिक क्षेत्र मलुही सरांय गांव बना रोजगार का हब

सीतापुर : खैराबाद ब्लॉक क्षेत्र का गांव मलुही सरांय एक तो शहर से सटा है, दूसरे लखनऊ-दिल्ल

By JagranEdited By: Published: Wed, 12 Sep 2018 10:28 PM (IST)Updated: Wed, 12 Sep 2018 10:28 PM (IST)
औद्योगिक क्षेत्र मलुही सरांय गांव बना रोजगार का हब
औद्योगिक क्षेत्र मलुही सरांय गांव बना रोजगार का हब

सीतापुर : खैराबाद ब्लॉक क्षेत्र का गांव मलुही सरांय एक तो शहर से सटा है, दूसरे लखनऊ-दिल्ली हाइवे और सीतापुर-लखीमपुर खीरी राज्यमार्ग से भी सटा है। यही नहीं ये गांव इंडस्ट्रिरियल क्षेत्र है, औद्योगिक क्षेत्र होना मलुही सरांय के लिए किसी गौरव से कम नहीं है। हालांकि इस औद्योगिक क्षेत्र में अभी और विकास कार्यों की जरूरत है। इसके बाद गांव क्षेत्र में और चारचांद लग जाएंगे। इतना सब होने के बाद भी यहां विकास कार्यों का अभाव है। इस पर है नाज : गांव के लोगों को इस बात पर नाज हो सकता है कि यहां औद्योगिक आस्थान में रोजगार की संभावनाएं रहती हैं। यही वजह है कि यह गांव बेरोजगारों को रोजगार देने वाला है। मलुही सरांय गांव के आसपास बड़ी संख्या में उद्योग धंधे संचालित हैं। गांव के अधिकांश लोग स्वरोजगार व गैर सरकारी पेशे से ही जुड़े हैं। सरकारी सेवाओं में यहां के कुछ ही लोग हैं, यहां जन समस्याएं अधिक हैं। ग्रामसभा के मजरे मलुही, सरैयां, इंदलगंज, जहूरपुर, अकबरपुर कला। यह हो तो बनें बात :

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बारात घर, खेल मैदान

मुख्य मार्ग पर जलभराव, नालियों का अभाव, आवारा पशु समस्या, कूड़े के ढेर, गंदगी।

आबादी का आंकड़ा

गांव की कुल आबादी 10,000

अनुसूचित जाति 40 प्रतिशत

पिछड़ा 30 प्रतिशत

सामान्य 10 प्रतिशत

अल्पसंख्यक 20 प्रतिशत शैक्षिक व सामाजिक स्तर

शिक्षित आबादी 40 प्रतिशत

बेरोजगारी 45 प्रतिशत गांव की परिसंपत्तियां

आंगनबाड़ी केंद्र 1

पंचायत भवन 1

प्राथमिक विद्यालय 4

पूर्व माध्यमिक विद्यालय 2हैंडपंप 100

तालाब 15

कुएं 7

चित्र-12एसआइटी02-

ग्राम पंचायत को स्वच्छ व रोजगारपरक बनाने के लिए प्रयासरत हैं। गांव में सरकारी योजनाओं का लाभ पात्रों को मिले, विकास तेज हो इसके लिए काम कर रहे हैं। लेकिन सरकारी स्तर से अपेक्षा अनुसार मदद नहीं मिल रही। जिससे मन संतुष्ट नहीं है।

- परवीन, प्रधान चित्र-12एसआइटी03-

गांव में जन समस्याएं बड़े स्तर पर हैं। टूटी सड़क, जलभराव, कूड़ा, गंदगी, चोक नाली से स्वच्छता अभियान प्रभावित ह । ग्रामसभा में पर्याप्त शौचालय नहीं हैं। भूमि पर कब्जे हैं। आदर्श गांव जैसी छवि नहीं है, यह जिम्मेदारों की इच्छाशक्ति के अभाव का परिणाम है।

- मालती, पूर्व प्रधान


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