केआइसी में बन रही मनोज स्मृति वाटिका
महोली (सीतापुर) : कितना है बदनसीब जफर दफ्न के लिए, दो गज जमीं भी मिल ना सकी कू-ए-यार में। देशभक्त बह
महोली (सीतापुर) : कितना है बदनसीब जफर दफ्न के लिए, दो गज जमीं भी मिल ना सकी कू-ए-यार में। देशभक्त बहादुर शाह जफर की ये लाइनें महोली के उस सपूत पर सटीक बैठती हैं जिनकी शहादत पर सेना ने उनकी कर्मभूमि (जम्मू-कश्मीर) में तो 'मनोज एक्सचेंज' बनाकर सम्मान दिया। उनकी जन्मभूमि पर स्मारक बनाने के लिए थोड़ी सी जमीं तक न मिल सकी। सेना के कर्नल अजय शर्मा अब कस्बे के कृषक इंटर कालेज में मनोज स्मृति वाटिका बनवा रहे हैं।
महोली कस्बे के सीताराम यादव के पुत्र मनोज यादव कस्बे के कृषक इंटर कॉलेज में एनसीसी के कैडेट थे। देशभक्ति का जुनून उन्हें सेना में ले गया। 09 जून 1997 को वो थल सेना के तोपखाना रेजीमेंट में गनर के पद पर भर्ती हुए। 25 अप्रैल 2001 को जम्मू-कश्मीर के बारामूला जिले में ड्यूटी के दौरान बंकर में हुए विस्फोट में वो शहीद हो गए। उनकी जन्मभूमि पर शासन-प्रशासन ने उन्हें सामाजिक सम्मान से भी वंचित रखा। जनप्रतिनिधियों के थोथे वादों के बावजूद नगर में मनोज के नाम का कोई पत्थर न लग सका। 29 मार्च के अंक में दैनिक जागरण ने 'पत्थर देखने को पथराई मां की आंखें' शीर्षक से खबर प्रकाशित की तो सेना के कर्नल अजय शर्मा ने मनोज की मां सत्यवती से मुलाकात की और 'मनोज स्मृति वाटिका' बनवाने का वादा किया। नगर पंचायत प्रशासन ने 'मनोज स्मृति वाटिका' के लिए स्थान की कमी का हवाला दिया। मजबूरीवश कृषक इंटर कॉलेज परिसर में मनोज वाटिका का निर्माण शुरू कराया गया है। अतिशीघ्र मनोज की प्रतिमा का अनावरण होगा।