किसानों को लिफ्ट कैनाल भी दे गईं दगा, बढ़ी फसल लागत
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महोली (सीतापुर) : कठिना नदी के किनारे बसे गांव सीतारामपुर, लक्ष्मणपुर, दौली, हदीरा और शास्त्रीनगर में लिफ्ट कैनाल बने हैं। फसलों की सिचाई के लिए लिफ्ट कैनाल की व्यवस्था है। रविवार को 'दैनिक जागरण' टीम ने इनकी व्यवस्था देखी। मौके पर पता चला कि, इन पांच लिफ्ट कैनाल में से दो कैनाल (हदीरा और लक्ष्मणपुर) क्रियाशील मिली हैं, अन्य खराब हैं। इन क्षेत्रों में एक तो निजी नलकूप नहीं हैं दूसरे कैनाल न चलने से लघु-सीमांत किसान को किराए के संसाधनों पर आश्रित होना पड़ता है। ऐसे में न सिर्फ उनकी फसल की लागत बढ़ जाती है बल्कि, 150 रुपये प्रति घंटे की दर से सिचाई का किराया देना पड़ता है।
दौली लिफ्ट कैनाल
1980 के दौर में गांव के किनारे कठिना नदी से लिफ्ट कैनाल बनी थी, जो 22 वर्षों से बंद है। इसमें मशीनरी खराब होना बताया गया। लिफ्ट कैनाल की नहर में जंगल-झाड़ी है। ग्रामीण बताते हैं कि लिफ्ट कैनाल सिर्फ कहने को है। गांव के दीपू, सुरेश, रामगुलाम बताते हैं कि अब किराए के पानी पर खेती निर्भर है, जो फसलों को महंगा पड़ता है। गांव के बड़े जोतकार 150 रुपये प्रति घंटे की दर से किराया वसूलते हैं। एक एकड़ गेहूं और गन्ने का जोतकार सिचाई के लिए औसतन 8 हजार रुपये खर्च करता है।
सीतारामपुर लिफ्ट कैनाल
कई दशक पहले यहां लिफ्ट कैनाल बनी थी पर, चालू नहीं है। मशीनरी के पास तक बिजली पहुंचती है पर, मशीनरी खराबी से कैनाल बंद है। नाले में झाड़यिा हैं।
लक्ष्मणपुर लिफ्ट कैनाल
गांव में कठिना नदी के किनारे वर्ष 2008 में लिफ्ट कैनाल बनी थी। गांव के बलबीर सिंह, गोविद, शेर सिंह, श्रीपाल ने बताया लिफ्ट कैनाल सिर्फ दिखावा है। माइनर में जंगल हैं। हमारे गांव की लिफ्ट कैनाल दो महीने पहले चली थी। खेत का पलेवा हो गया था। उसके बाद से कैनाल बंद है। कैनाल का संचालन में भी ऑपरेटर की मनमर्जी रहती है।
- गजोधर, किसान-कुवंरपुर गद्दी हमारी याद में लिफ्ट कैनाल के नाले में कभी पानी नहीं आया। गांव में कोई भी सरकारी नलकूप नहीं है। बड़े जोतकार निजी साधनों पर व छोटे किसान किराए की सिचाई पर निर्भर हैं।
- अरविद, किसान-सीतारामपुर सीतारामपुर, दौली और शास्त्रीनगर की कार्ययोजना चीफ ऑफिस भेजी है। अगर हजीरा और लक्ष्मणपुर में पानी की सप्लाई शुरू नहीं हुई है तो ऑपरेटर से बात करेंगे।
- देवेंद्र कुमार-सहायक अभियंता-लघु डाल नहर-डिवीजन लखनऊ