गोभी की खेती से चमकी किसानों की किस्मत
बीहट गौर के एक दर्जन से अधिक किसानों ने प्रेरित होकर खेतों में लगाई गोभी परंपरागत फसलों से बनाई दूरी
राघवेंद्र वाजपेयी, सीतापुर: बीहट गौर के किसान जयनेंद्र मौर्य ने तीन वर्ष पहले परंपरागत फसलों को छोड़कर गोभी की खेती शुरू की थी। जयनेंद्र ने एक एकड़ खेत में गोभी लगाई। इस पर 15 हजार रुपये का खर्च आया। चार माह बाद गोभी तैयार हो गई। बाजार में इसकी बिक्री की गई तो अच्छा मुनाफा मिला। एक एकड़ में 50 हजार का शुद्ध मुनाफा मिला। इससे उनका मन और मजबूत हो गया। तब से लगातार गोभी की फसल उगा रहे हैं।
खेत में तैयार गोभी को सीतापुर मंडी में बेचते हैं। जयनेंद्र ने गोभी का रकबा बढ़ा दिया है। अब डेढ़ एकड़ में गोभी लगा रहे हैं। जयनेंद्र ने बताया कि गोभी की खेती से बेहद सुकून में हैं। खेती के जरूरत संसाधन भी जुटा लिए हैं। बीहट गौर के आसपास गांवों में भी किसान गोभी की खेती करने लगे हैं। यहां से सीतापुर मंडी 24 किलोमीटर है। गोभी ले जाने के लिए साधन भी आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं।
कई किसान भी हुए प्रेरित:
जयनेंद्र को देखकर गांव के एक दर्जन से अधिक किसान गोभी लगाने लगे। गांव के जमाल ने एक एकड़ में गोभी लगाया है। जाफर भी एक एकड़ में गोभी की खेती कर रहे हैं और अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं।
मेहनत के साथ लाभ भी अधिक:
जयनेंद्र ने बताया कि गोभी की खेती में मेहनत बहुत है, लेकिन लाभ भी अधिक है। फसल की निगरानी के लिए खेत में मचान बनाकर रुकते हैं। लगातार निगरानी करनी पड़ती है कि जानवर नुकसान न कर दें।
चार माह में तैयार होती फसल
अगस्त माह में गोभी की फसल बोई जाती है। चार माह बाद फसल तैयार हो जाती है। बेहतर उपज के लिए समय-समय पर सिचाई व खाद का प्रयोग होता है। कीटों से बचाव के लिए दवा छिड़काव होता है। कीट का खतरा बारिश के मौसम में अधिक रहता है।