हुई सुनवाई, सुमन को मिलेगी पेंशन
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सीतापुर : बिसवां के कृष्णा देवी गर्ल्स इंटर कॉलेज में 31 जुलाई 2010 को लिपिक पद से रिटायर हुई। सुमनलता मिश्रा को पेंशन व बकाया देयक मिलने की सुविधा जल्द ही प्रारंभ होगी। इस मामले में सिटी मजिस्ट्रेट ने बुधवार को डीआइओएस नरेंद्र शर्मा और बिसवां ईओ सुरेंद्र प्रताप को अपने चैंबर में अभिलेखों के साथ तलब किया। इस दौरान सुमनलता मिश्रा भी मौजूद रही। करीब डेढ़ घंटे सुनवाई के बाद सिटी मजिस्ट्रेट ने बताया कि सुमनलता मिश्रा पेंशन की हकदार है। लेकिन माध्यमिक शिक्षा विभाग की मनमानी के कारण अभी तक वह पेंशन व अन्य बकाया देयकों से वंचित थी। इस मामले में उन्होंने शासन को पत्र लिखने की भी बात कही।
पेंशन व बकाया देयकों के लिए रिटायर होने के बाद दस साल से सुमनलता मिश्रा ने नगर पालिका बिसवां से लेकर कलक्ट्रेट और राजधानी तक दौड़ लगाई। लेकिन कही पर सुनवाई नहीं हुई। इस मामले को लेकर दैनिक जागरण ने बुधवार के अंक में प्रमुखता से खबर छापी। जिस पर हरकत में आए प्रशासन ने पक्ष विपक्ष दोनों को संबंधित अभिलेखों के साथ तलब किया और सुनवाई में वादी सुमनलता मिश्रा का पक्ष मजबूत पाया गया। जिस पर सिटी मजिस्ट्रेट प्रेम प्रकाश उपाध्याय ने डीआइओएस की लापरवाही पर कड़ी आपत्ति जाहिर कर पीड़ित को तत्काल पेंशन की कार्रवाई पूरी करने के निर्देश दिए। साथ ही उन्होंने कहा कि डीआइओएस की लापरवाही के संबंध में वह शासन को पत्र भी लिखेंगे। सुनवाई के बाद पीड़ित सुमनलता मिश्रा के चेहरे पर रौनक भी देखने को मिली। उन्होंने दैनिक जागरण का आभार भी जताया। कहा कि वह पिछले दस साल से अपने हक की लड़ाई लड़ रही थी। जो दैनिक जागरण के जरिए आज वह सफल हो रही हैं। उन्होंने बताया कि उनकी आज आर्थिक हालत यह है कि गरीबी के कारण पेट भरना भी मुश्किल हो रहा है। कभी-कभी भीख मांग कर पेट भरना पड़ता है। बिसवां कस्बे में किराये पर रह रही सुमनलता मिश्रा निर्धनता के कारण बेटे और बेटी का विवाह तक नहीं कर पाई है। बुजुर्ग सुमनलता खुद तो बीमार रहती ही हैं साथ में उनका बेटा मनोज मिश्र व बेटी भी बीमार रहते हैं। गरीबी की हालत में इलाज करा पाना तक मुश्किल हो रहा है।