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घनी आबादी के बीच पशु पालन, नाला-नालियों में बहता गोबर

सीतापुर शहर के लगभग सभी वार्डों में दो से तीन तबेला दुर्गंध से बाशिदे परेशान।

By JagranEdited By: Published: Fri, 24 Jun 2022 10:34 PM (IST)Updated: Fri, 24 Jun 2022 10:34 PM (IST)
घनी आबादी के बीच पशु पालन, नाला-नालियों में बहता गोबर
घनी आबादी के बीच पशु पालन, नाला-नालियों में बहता गोबर

संसू, सीतापुर : रिहायशी क्षेत्रों में आज भी तबेला बने हैं। अवैध डेयरियों का संचालन हो रहा है, जबकि नगर पालिका परिषद को इन डेयरियों को चिह्नित कर आबादी के बाहर भेजने के निर्देश हैं। फिर भी यह डेयरी संचालक आबादी के अंदर घनी बस्तियों में तबेला बनाकर डेयरियां संचालित कर रहे हैं। आसपास के लोग चाहकर भी इन संचालकों का विरोध नहीं कर पा रहे हैं। वैसे दुर्गंध से वह लोग काफी परेशान हैं। सिविल लाइन और बट्सगंज में ही करीब आठ से अधिक तबेला हैं। रायफल क्लब के पास की डेयरी से दूध की सप्लाई कई मुहल्लों तक है। विजय लक्ष्मीनगर में पार्क के पड़ोस में ही तबेला है, जहां पर दूध डेयरी का संचालन होता है। इस तबेला के सामने ही कई नाले-नालियां हैं जिनमें गोबर बहाया जाता है। बीएसएनएल कार्यालय के पास भी तबेला है। सदर बाजार में कई तबेले हैं।

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88 पशु पालकों को नगर पालिका का नोटिस

नगर पालिका परिषद सीतापुर के संपत्ति लिपिक राकेश मिश्र ने बताया, तीन दिन पहले ही 88 पशु पालकों को नोटिस दी गई है। उन्हें चेताया गया है कि पशु बाड़े में रखें या फिर नगर के बाहर पशु पालन करें। यदि उनके पशु इधर-उधर घूमते मिलते हैं तो कार्रवाई की जाएगी। साथ ही पशु पालकों को नगर पालिका ने यह भी चेताया है कि आबादी के बीच में पशु पालन न करें। आबादी से दूर बाड़ा बनाएं और वहां गोबर आदि के निस्तारण का इंतजाम रखें।

गोबर में ही होता है मच्छर का लार्वा:

सफाई निरीक्षक जागेंद्र सिंह बताते हैं कि आबादी के बीच में पशु पालन से बीमारी फैलती है। गोबर में ही मच्छर का लार्वा होता है। वह मानते भी हैं कि शहर के वार्डों में कई जगह तबेला हैं। आसपास के लोग दुर्गंध से परेशान हैं। मच्छर के लार्वा से ही संक्रामक बीमारियां फैलती हैं। सिविल लाइन वार्ड के सफाई कर्मचारी बताते हैं कि वह लोग हर रोज नालियां साफ करते हैं। तबेला वालों से नालियों में गोबर बहाने को मना भी करते हैं लेकिन, वह लोग मौका पाकर सुबह-शाम तबेला की सफाई कर गोबर व अन्य कीचड़ नालियों में ही बहाते हैं। इससे नालियों में मलबा जमता है और वह चोक होती हैं तो जल निकासी बाधित होती है।


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