रोजी रोटी के लिए घर छोड़ना मजबूरी
धौरहरा संसदीय सीट पर उद्योग धंधों की भारी कमी है। जिसके चलते क्षेत्र के हजारों लोग रोजी-रोजगार के लिए देश के दूसरे प्रांतों में काम करने को विवश है।
धौरहरा : धौरहरा संसदीय सीट पर उद्योग धंधों की भारी कमी है। जिसके चलते इस क्षेत्र के हजारों लोग रोजी-रोटी के लिए घर छोड़कर देश के दूसरे प्रांतों में काम करने को विवश हैं। क्षेत्र में किसी बड़े उद्योग की स्थापना के न होने की सबसे प्रमुख वजह जन प्रतिनिधियों का उपेक्षात्मक रवैया है। जिसके चलते किसी बड़े उद्योग के लिए आधारभूत ढांचे की उपलब्धता नहीं हो सकी। जन प्रतिनिधियों ने रेल, सड़क और बिजली जैसी प्रमुख सुविधाओं को उपलब्ध कराने और बड़े औद्योगिक घरानों को उद्योगों की स्थापना के लिए प्रोत्साहित करने में कोई रूचि नहीं ली, जिसके कारण क्षेत्र में बेरोजगारों की फौज बढ़ती गई। इसी चुनावी मुद्दे को लेकर दैनिक जागरण ने धौरहरा संसदीय सीट की महोली विधान सभा क्षेत्र के एलिया ब्लॉक के इमलिया सुल्तानपुर कस्बे में चुनाव चौपाल लगाई। इसमें सभी वक्ताओं ने बेबाकी से अपनी राय रखते हुए क्षेत्र में किसी बड़े उद्योग की स्थापना कराए जाने की मांग की।
सेवानिवृत्त कर्मी रूद्र पाल सिंह का कहना है कि सीतापुर जिले के सबसे पिछड़े ब्लॉक में आजादी के 70 सालों बाद भी किसी उद्योग के न लगने से मन में पीड़ा है।
सेवानिवृत्त कर्मी विश्व पाल सिंह कहते हैं कि क्षेत्रीय जन प्रतिनिधि के होने से वह क्षेत्र के विकास पर उसका ध्यान नहीं रहता है, जिससे यह क्षेत्र पिछड़ता जा रहा है।
दुकानदार शमशुल अंसारी का कहना है कि यहां के मुस्लिम लोग दूसरे प्रांतों में काम कर रहे हैं। यहां कोई उद्योग हो तो हम लोग घर पर रहकर काम कर सकेंगे।
समाजसेवी प्रेम नरायण मिश्रा का कहना है कि मोदी सरकार के बीते पांच सालों के कार्यकाल में रोजगार के अवसर बढ़े हैं और बेरोजगारी भी कम हुई है। व्यापारी अतीक अंसारी का कहना है कि हमारे पूरे क्षेत्र में रोजगार का अभाव है। मैं खुद रोजी-रोटी के लिए अपने परिवार से 1500 किमी दूर पड़ा हूं। शिक्षक सुनील मिश्रा का कहना है कि स्थानीय नेताओं की कोई सुनता नहीं और बड़े नेता यहां तक आते ही नहीं है। जिससे क्षेत्र लगातार पिछड़ता जा रहा है।
किसान मनोज सिंह का कहना है कि नेता वादे ही कर रहे हैं, यहां पर बड़ी इंडस्ट्री की जरूरत है। नजदीक की चीनी मिल बंद होने से गन्ने की खेती भी कम हुई है। सेवानिवृत्त शिक्षक कृष्ण पाल सिंह कहते हैं कि चुनाव में बड़े-बड़े वादे होते हैं, लेकिन चुनाव बाद जीतने-हारने वाले किसी को भी मुद्दों का ख्याल नहीं रहता है।
किसान निजामुद्दीन का कहना है कि काम के लिए हम लोगों को बाहर जाना पड़ता है, इसका मलाल है। कोई नेता आए जो यहां पर रोजगार के अवसर सृजित करे।
शिक्षामित्र आलोक सिंह का कहना है कि बेरोजगारी राष्ट्रव्यापी समस्या है। बीते सालों में रोजगारी तेजी से बढ़ी है। नेता सिर्फ अपना ध्यान रख रहे हैं।
व्यापारी जैनुअल आब्दीन कहते हैं कि क्षेत्र में मुस्लिम आबादी अधिक है। ऐसे में यहां पर हथकरघा उद्योग की जरूरत है। किसान भगवान दीन कहते हैं कि क्षेत्र में कोई रोजगार नहीं है। यहां पर कोई मिल बन जाए, जिससे रोजगार मिल सके।
एक निजी संस्थान के कर्मी नौशाद आलम कहते हैं कि नेता वादे करते हैं, लेकिन पूरा नहीं करते। बीते चुनाव में महोली चीनी मिल को चालू कराने का वादा किया गया था, लेकिन मिल नहीं चल सकी।
किसान योगेंद्र सिंह का कहना है कि नेता वादा पूरा नहीं कर रहे हैं, उद्योगों के अभाव में बेरोजगारी का बढ़ाना स्वाभाविक है। व्यापारी रजनीश सिंह का कहना है कि चुनाव बाद जन प्रतिनिधि ढूढें नहीं मिलते हैं।
ग्राम प्रधान विवेक सिंह का कहना है कि क्षेत्र में रोजगार के साधन न होने से हम सबकी तरक्की रूकी है। क्षेत्र के बाशिदों को एक बड़े उद्योग की जरूरत है। चौपाल में किसान राम भरोसे, व्यापारी अजमुद्दीन और व्यापारी मंसूर आलम ने भी अपने विचार व्यक्त किए।