बाढ़ का दायरा बढ़ा, 44 राजस्व गांव जलमग्न, बचाव कार्य में जुटा प्रशासन
घाघरा और शारदा नदियों के पानी ने मचाई तबाही। घरों की छत पर बनाया ठिकाना पलायन भी जारी।
सीतापुर : शारदा व घाघरा नदियों का पानी रेउसा, रामपुर मथुरा व बेहटा ब्लाक के 44 राजस्व गांवों में प्रवेश कर गया है। राजस्व गांवों के अलावा 30 से अधिक मजरे भी प्रभावित हैं। इन गांवों के अधिकांश ग्रामीणों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया है। कई ग्रामीण घर की छत पर रह रहे हैं। प्रशासन ने राहत व बचाव कार्य तेज कर दिया है। ग्रामीणों को राहत सामग्री और खाने के पैकेट पहुंचाए जा रहे हैं।
किस ब्लाक में प्रभावित हैं कितने गांव :
लहरपुर एसडीएम पंकज राठौर ने बताया कि बेहटा ब्लाक के करीब 18 गांवों में पानी भरा है। 10 गांवों को पूरी तरह खाली करा लिया गया है। अन्य गांवों के ग्रामीणों को भी सुरक्षित स्थान पर ले जाया जा रहा है। वहीं एसडीएम बिसवां अनुपम मिश्रा के मुताबिक रेउसा के 19 राजस्व गांव बाढ़ प्रभावित हैं। मजरों में भी पानी भरा है। अति संवेदनशील गांव खाली कराए जा चुके हैं। लोगों को राहत शिविर में भेजा गया। एसडीएम महमूदाबाद मिथिलेश त्रिपाठी ने बताया कि रामपुर मथुरा के सात राजस्व गांवों में घाघरा का पानी भरा है।
यह किए गए हैं इंतजाम :
रेउसा ब्लाक के बाढ़ प्रभावित गांवों में 500 खाने के पैकेट पहुंचाए गए। रामपुर मथुरा के प्रभावित गांवों में 2500 पैकेट बांटे गए। रेउसा के प्रभावितों के लिए 35 नाव का इंतजाम किया गया है। राहत शिविर व बाढ़ चौकियों को अलर्ट किया गया है।
इन गांवों में भरा है पानी
रेउसा : गोलोक कोडर, म्योड़ी छोलहा, ताहपुर, जटपुरवा, पकौरी, सेमरा, नरौली, चौसा, गुड़ियनपुरवा, किशोरगंज, बसंतापुर, हरिहरपुर, नेवादा, दूलामऊ, बजहा, चहलारी, गुरगुचपुर, जगदीशपुर, हजरिया, सिरसा, लालपुर, रामीपुर कोडर, रंडा कोडर, खानी हुसैनपुर, मुझेहना, राजापुर कला व भरथा आदि गांव सहित कई मजरे जलमग्न हैं।
बेहटा : पट्टी दहेली, सेखनापुर, रमपुरवा, दहेली, सोंसरी, रतौली, पसुरा, गदियाना मुगलपुर, मुसियाना, बेलवापसुरा, तेजवापुर सहित 18 गांव व 20 मजरों में पानी है।
रामपुर मथुरा : ब्लाक के अखरी, अंगरौरा, मिश्रनपुरवा, शंकरपुरवा, शुकुलपुरवा, कनरखी, बख्शीपुरवा गांव में पानी भरा है।
खुद तोड़े घर और कर गए पलायन
रेउसा : दुर्गापुरवा गांव के सुरेश, बदलू, प्रमोद, हीरालाल, सर्वेश, पेशकार, त्रिभुवन, लल्लन ने अपने घरों को तोड़कर सुरक्षित स्थान के लिए पलायन किया। रामलालपुरवा, पासिनपुरवा, दूलामऊ, चहलारी, नगीनापुरवा, श्यामनगर, सुंदरनगर, ठेकेदारपुरवा, जिनापुरवा गांव के कई ग्रामीण घरों की छत पर रह रहे हैं।
सड़क के किनारे कट रहे बाढ़ पीड़ितों के दिन
सीतापुर : हर वर्ष बाढ़ की विभीषिका हजारों परिवारों को विस्थापित कर देती है। फिर भी जिम्मेदार अधिकारी कटान पीड़ितों के लिए रहने के लिए जमीन की अस्थाई व्यवस्था नहीं कर सके। जब बाढ़ आती है, गांवों में पानी भर जाता है तो पीड़ित परिवार गृहस्थी समेटकर सड़क के किनारे झोपड़ी और पालीथिन तानकर बारिश व सर्दी की रातें काटते हैं।
तहसील प्रशासन दावा करता है कि वह बाढ़ कटान की स्थिति में बाढ़ राहत शिविर बनाता है। वहां रहने की व्यवस्था है। बाढ़ चौकी स्थापित की जाती है, दवाओं के लिए स्वास्थ्य टीमें तैनात की जाती हैं। वहीं, कटान पीड़ित कहते हैं कि कागजों में बाढ़ राहत शिविर बने हैं। वहां सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं हैं। स्वास्थ्य कैंप में भी कर्मचारी नजर नहीं आते। दुर्गापुरवा के शत्रोहन व चेतराम ने बताया तहसील प्रशासन से मदद मिलती तो आज यह स्थिति न होती। जिदगी बचाने के लिए सड़क के किनारे रहना विवशता है।
तहसीलदार बिसवां अविचल प्रताप सिंह ने बताया कि किशोरगंज कटरा में कुछ पीड़ित परिवार रह रहे हैं। दूसरा शिविर अमरोहा के एक कालेज में बनाया है, वहां कोई रहने नहीं आ रहा। पीड़ित परिवार समेत सड़क किनारे रह रहे हैं। जबकि उनसे शिविर में रहने के लिए कहा भी जाता है।
पीड़ित परिवार यहां लिए शरण :
रेउसा-बहराइच मार्ग, गुरगुचपुर संपर्क मार्ग, बसंतापुर मार्ग, दूल्हामऊ मार्ग, जंगल टपरी संपर्क मार्ग के किनारे बाढ़ पीड़ित परिवार गृहस्थी समेत शरण लिए हैं। झोपड़ी व पालीथिन में रात, दिन गुजार रहे हैं। यहां जंगली जानवरों का भी खतरा बना रहता है।