फास्टैग में सन्नाटा, कैश की लेन में वाहनों की कतार
दो महीने बाद भी 65 फीसद ही पहुंचा फास्टैग का आंकड़ा
सीतापुर : टोल प्लाजा पर जाम का झाम न हो। समय और ईंधन की बचत हो। टोल से आसानी से गुजर सकें, इसके लिए लागू फास्टैग सिस्टम अभी फास्ट नहीं हो पाया है। करीब दो महीने बाद भी 35 से 40 फीसद वाहन स्वामी फास्टैग का उपयोग नहीं कर रहे हैं। फास्टैग अपनाने वाले वाहन स्वामियों का आंकड़ा आज भी वही है, जो एक महीने पहले था।
फास्टैग प्रभावी होने के समय नजर आने वाली सक्रियता, अब गुम हो चुकी है। खुद की सुविधा वाले इस सिस्टम को लेकर वाहन स्वामी या तो जागरूक नहीं हुए हैं, या फिर इसे अपनाना नहीं चाहते हैं। यही वजह है कि, सीतापुर-लखनऊ हाईवे पर स्थित खैराबाद टोल प्लाजा पर फास्टैग लेन में सन्नाटा और कैश की लाइन में वाहनों की कतार है। शुरूआत में तेजी, फिर आई सुस्ती
फास्टैग सिस्टम अनिवार्य हुआ तो, टैग लगवाने की होड़ लग गई। टोल प्लाजा पर वाहन स्वामियों की भीड़ दिखती थी। शुरूआती दस दिनों में फास्टैग अपनाने का आंकड़ा 50 फीसद था और दो महीने बाद महज 60 से 65 फीसद ही पहुंचा। ये है फास्टैग
फास्टैग टोल कलेक्शन का इलेक्ट्रानिक तरीका है। इस सिस्टम में रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन का प्रयोग होता है। टैग वाहन के शीशे पर लगता है। जब गाड़ी टोल प्लाजा पर आती है, वहां लगा सेंसर वाहन के शीशे पर लगे टैग को ट्रैक कर लेता है और ऑनलाइन भुगतान हो जाता है। क्या होती है सहूलियत
- टोल प्लाजा पर जाम की समस्या नहीं होती
- भुगतान के लिए लाइन नहीं लगानी पड़ती
- फास्टैग से समय की बचत भी होती है
- ईंधन की बचत भी इससे होती है
आंकड़ों में खैराबाद टोल प्लाजा
- 12 लेन हैं खैराबाद टोल में
- 2 इमरजेंसी लेन की हैं
- 2 लेन कैश की हैं
- 8 फास्टैग की लेन हैं
- 7500 के करीब वाहन गुजरते हैं प्रतिदिन
- 5000 वाहन फास्टैग लेन से निकलते हैं
- 2500 के करीब वाहन कैश की लेन से गुजरते हैं टोल से 60 से 65 फीसद वाहन ही फास्टैग लेन से गुजरते हैं। फास्टैग लेन में कभी लाइन नहीं लगती। कैश की लेन में भीड़ बनी रहती है। वाहन स्वामियों में जागरूकता जरूरी है।
अंकेश श्रीवास्तव, टोल मैनेजर खैराबाद