Move to Jagran APP

धान बेचने के लिए मच्छरदानी में 'तप'

सीतापुर लोग रविवार को जब दशहरा मना रहे थे। अपने घरों में परिवार के साथ मस्ती कर रहे थे। उस समय हमारा धरती पुत्र यानी अन्नदाता धान खरीद केंद्रों पर जंग लड़ रहा था। किसानों की यह जंग सिर्फ एक-दो दिन से नहीं जारी है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 26 Oct 2020 10:02 PM (IST)Updated: Mon, 26 Oct 2020 10:02 PM (IST)
धान बेचने के लिए मच्छरदानी में 'तप'
धान बेचने के लिए मच्छरदानी में 'तप'

सीतापुर : लोग रविवार को जब दशहरा मना रहे थे। अपने घरों में परिवार के साथ मस्ती कर रहे थे। उस समय हमारा धरती पुत्र यानी अन्नदाता धान खरीद केंद्रों पर 'जंग' लड़ रहा था। किसानों की यह जंग सिर्फ एक-दो दिन से नहीं जारी है। कई तो ऐसे भी मिले जो एक सप्ताह से अपना धान बेचने के लिए शहर की गल्ला मंडी के विभिन्न केंद्रों पर डटे हैं। किसानों ने अनुसार सिस्टम की मंशा के अनुरूप उन्होंने ऑनलाइन आवेदन किया, तारीख भी मिल गई लेकिन, वे धान नहीं बेच पाए। आइए हम आपको बताते हैं कि किन मुश्किलों के बीच अपना धान बेचने के लिए परेशान है किसान..।

loksabha election banner

शहर की गल्ला मंडी। अंदर चलिए और सब्जी मंडी गेट का क्रॉस करिए। अब आपको धान ही धान नजर आने लगेगा। यहीं पर एक ट्रॉली में धान के ऊपर मच्छरदानी लगी थी। ट्रॉली के पास पहुंचे तो चड़रा इलाके के सरदार अमरदीप सिंह मिले। वह बोले, यहां धान बेचने के लिए खड़े हैं। ऑनलाइन आवेदन किया था। 17 अक्टूबर को टोकन मिला था। वह यहां आए तो खरीद नहीं हो पाई। बोले, मच्छर ज्यादा हैं। इस वजह से ट्रॉली पर ही मच्छरदानी तान ली है। इसी पर सोते हैं। धान की रखवाली भी होती है और मच्छरों से भी बच जाते हैं। रस्योरा के कुलदीप सिंह की व्यथा भी अलग नहीं थी। यहीं पर एक ट्रॉली पर जुगाड़ू पलंग लगा था। इस पर भी कुछ किसान चाय की चुस्कियां लेते नजर आए। रस्योरा के संतोष सिंह, चड़रा के अवतार सिंह और शाहमहोली के लखविदर सिंह ने बताया कि अपना धान बेचने के लिए हम सब पांच से छह दिनों से तौल के इंतजार में बैठे हैं। धान की तौल का नंबर कब आएगा यह भी पता नहीं। यहां भी बेसहारा पशु कर रहे तंग

शहर की गल्ला मंडी में भी बेसहारा जानवर किसानों को परेशान कर रहे हैं। इनसे धान बचाने के लिए भी किसान मशक्कत करते नजर आते हैं। अब ऑफलाइन टोकन से ही खरीद

ऑनलाइन टोकन व्यवस्था को बंद कर दिया गया है। अब खरीद ऑफलाइन टोकन पर ही हो रही है। किसान ऑफलाइन टोकन लेकर अपना धान बेच सकते हैं।

- अरविद दुबे, डिप्टी आरएमओ


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.