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प्रशासन संग आमजन दिखाए संजीदगी तब प्रभावी हो पाबंदी

हर कोई समझे अपना कर्तव्य सिंगल यूज प्लाटिक से करे तौबा

By JagranEdited By: Published: Thu, 25 Aug 2022 01:33 AM (IST)Updated: Thu, 25 Aug 2022 01:33 AM (IST)
प्रशासन संग आमजन दिखाए संजीदगी तब प्रभावी हो पाबंदी
प्रशासन संग आमजन दिखाए संजीदगी तब प्रभावी हो पाबंदी

प्रशासन संग आमजन दिखाए संजीदगी तब प्रभावी हो पाबंदी

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सीतापुर : सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध के बाद भी इसका प्रयोग जारी है। स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होने के बाद भी लोग इनमें सामान लाने से संकोच नहीं कर रहे हैं। प्रशासन स्तर पर चलाए जाने वाले अभियान भी महज औपचारिकता साबित हो रहे हैं। दरअसल, कार्रवाई कुछ दुकानों से पालीथिन की बरामदगी और जुर्माने तक ही सीमित रहती है। ऐसा तब है, जबकि नगर में प्रतिदिन निकलने वाले 50 मीट्रिक टन से अधिक कूडे में सबसे ज्यादा मात्रा प्लास्टिक की ही होती है। सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध को प्रभावी बनाने के लिए प्रशासन के साथ ही आमजन को भी संजीदगी दिखानी होगी।

यह हैं सिंगल यूज प्लास्टिक :

सिंगल यूज प्लास्टिक को केवल एक बार प्रयोग करके फेंक दिया जाता है। इनमें प्लास्टिक की थैलियां, डिस्पोजल प्लास्टिक, स्ट्रा, सोडा व पानी की बोतलें शामिल हैं। ऐसे प्लास्टिक आमतौर पर मिट्टी के भीतर पहुंचकर उर्वरा शक्ति को प्रभावित करती है। इनके अलावा थर्माकोल से बनी प्लेट, कप, गिलास, सिगरेट पैकेट की फिल्म, प्लास्टिक के झंडे, कांटे, चम्मच, आइसक्रीम पर लगने वाली स्टिक, क्रीम, कैंडी स्टिक और सौ माइक्रोन से कम मोटाई के बैनर शामिल हैं।

आमजन को भी समझनी होगी जिम्मेदारी :

जिला विज्ञान क्लब के सचिव व सेक्रेड हार्ट डिग्री कालेज में जंतु विज्ञान विभागध्यक्ष डा. योगेश चंद दीक्षित का कहना है प्लास्टिक से पर्यावरण को होने वाले नुकसान से ज्यादातर लोग वाकिफ हैं। इसके बावजूद इसका प्रयोग करते हैं। जब तक सभी लोग अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाएंगे तब तक इसे रोक नहीं जा सकता है। शासन व प्रशासन को इसके लिए और भी ज्यादा कठोर कदम उठाने होंगे। साथ ही आमजन को भी जिम्मेदारी समझनी होगी। कपड़े या जूट का थैला लेकर बाजार जाएं। इसमें सामान सुरक्षित रहने के साथ ही पर्यावरण भी दुरुस्त रहेगा।

मुख्य चिकित्सा अधीक्षक जिला चिकित्सालय डा. आरके सिंह ने बताया कि सिंगल यूज प्लास्टिक कभी नष्ट होती है और न ही री-साइकिल ही होती है। इनको खाने से मवेशी बीमार हो जाते हैं। प्लास्टिक की थैलियों में रखे खाद्य पदार्थ का प्रयोग करने से गंभीर असाध्य बीमारियां होने की आशंका रहती है। सफाई निरीक्षक जागेंदर सिंह ने बताया कि प्रतिदिन 53 मीट्रिक टन कूड़ा इकट्ठा होता है।

इसमें ज्यादातर प्लास्टिक ही होती है। कूड़े के निस्तारण के लिए मैटीरियल रिकवरी फैसिलिटी (एमआरएफ) सेंटर के संचालन की तैयारी की जा रही है। इसके शुरू होते ही कूड़े का निस्तारण होने लगेगा। अधिशासी अधिकारी नगर पालिका परिषद वैभव त्रिपाठी ने बताया कि प्लास्टिक का प्रयोग न हो इसके लिए समय-समय पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। अब तक बाजार में तीन बार अभियान चलाया जा चुका है। प्लास्टिक एकत्र कर कार्रवाई भी की गई है। साथ ही लोगों को जागरूक भी किया गया कि प्लास्टिक का प्रयोग बिल्कुल न करें।


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