निजी स्कूलों में फीस निर्धारण की होगी जांच
डीएम के हस्तक्षेप के बाद सक्रिय हुआ शिक्षा विभाग। निजी विद्यालयों में बेतहाशा शुल्क बढ़ाए जाने का मामला।
सीतापुर : निजी स्कूलों में बढ़ाई गई बच्चों की फीस को लेकर हर अभिभावक परेशान है। हालांकि उप्र स्व वित्त पोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क निर्धारण) अध्यादेश-2018 लागू है पर, अनुपालन शून्य है। फिलहाल इस मामले में हाल ही में 'दैनिक जागरण' ने प्रमुखता से खबर छापी हैं। असर ये हुआ है कि कुछ दिनों पहले डीएम अखिलेश तिवारी ने जिला शुल्क नियामक समिति की बैठक की है। डीआइओएस व बीएसए को अध्यादेश अनुपालन के निर्देश दिए हैं। डीआइओएस नरेंद्र शर्मा ने जिले के निजी विद्यालयों से शैक्षिक सत्र 2015-16 से अब तक के सत्र तक वर्ष वार ली जाने वाली फीस का ब्योरा तलब किया है। अब देखना होगा कि, डीएम के हस्तक्षेप के बाद निजी विद्यालयों पर राज्य सरकार का शुल्क निर्धारण अध्यादेश कितना प्रभावी होगा। अध्यादेश में ये हैं शर्ते
- शुल्क निर्धारण अध्यादेश वर्तमान सत्र से ही प्रभावी माना जाएगा।
- यह उन सभी निजी विद्यालयों पर लागू होगा जिनकी सालाना फीस 20 हजार रुपये से ज्यादा है।
- विद्यालय में पढ़ने वाले कक्षा 1-12 तक के बच्चों की फीस में इस अध्यादेश के अंतर्गत वृद्धि की जाएगी।
- प्री-स्कूल के बच्चों की फीस को अध्यादेश से बाहर रखा गया है।
- कक्षा 1-12 तक में विद्यालय में नया प्रवेश लेने वाले छात्र पर एक साल तक अध्यादेश के नियम लागू नहीं होंगे।
- स्कूल हर साल 7-8 फीसदी से ज्यादा फीस नहीं बढ़ा सकते।
- एक कक्षा से एक ही स्कूल में कक्षा 12वीं तक एक ही बार एडमिशन फीस ली जाएगी।
- कोई भी स्कूल सिर्फ 4 तरह से ही शुल्क ले सकेंगे। जैसे-विवरण पुस्तिका, प्रवेश, परीक्षा और संयुक्त वार्षिक शुल्क।
- वैकल्पिक सुविधा जैसे वाहन, हॉस्टल, भ्रमण, कैंटीन की सुविधा लेने पर बच्चों को शुल्क देना होगा।
- हर तरह के शुल्क की रसीद देना स्कूलों के लिए अनिवार्य किया गया है।
- कोई भी स्कूल अपने बच्चों की ड्रेस में 5 वर्ष तक बदलाव नहीं कर सकेगा।
- यूनीफार्म, कॉपी-किताब खरीदने को विद्यालय अपने परिसर, निर्धारित दुकान से खरीदने को बाध्य नहीं करेंगे।
- नियमों के पहली बार उल्लंघन पर स्कूल पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगेगा।
- शर्तों के दूसरी बार उल्लंघन में पांच लाख रुपये जुर्माना व तीसरी बार में मान्यता खत्म होगी। शुल्क निर्धारण अधिनियम के तहत डीएम के निर्देश पर निजी विद्यालयों से शुल्क विवरण तलब किया है। कुछ विद्यालयों ने विवरण उपलब्ध भी कराया है।
- नरेंद्र शर्मा, डीआइओएस