आम के पेड़ों पर जाला कीट का प्रकोप
किसान परेशान कर रहे दवाओं का छिड़काव
औरंगाबाद (सीतापुर): जिले में आम के बागों के नाम पर औरंगाबाद क्षेत्र अलग ही स्थान रखता है। यहां पर आम की बाग सैकड़ों की संख्या में मौजूद हैं। यही वजह है कि इस क्षेत्र के अधिकांश ग्रामीण बागवानी पर ही निर्भर हैं, लेकिन इन दिनों बागवान संकट के दौर से गुजर रहे हैं। वजह यह है कि बागों पर जाला कीट का असर देखने को मिल रहा है।
पेड़ों पर यह कीट तेजी से फैल रहा है और आम की पत्तियों को चट कर रहा है। बागवान ज़फर बेग उ़र्फ पप्पू मियां, शरीफ अहमद, सलीम कुरैशी, जावेद बेग, जमील कुरैशी, गजराज राजवंशी, आमिर बेग, साहब बेग आदि बागवानों का कहना है कि कीट पेड़ों की पत्तियां लपेटकर गुच्छानुमा जाला बना देता है। पत्तियों पर लारा छोड़कर पत्तियों को लपेटना शुरू कर देता है। गुच्छादार लिपटी पत्तियों पर जाला बिखेरते हुए यह कीट उसके अंदर घुसकर पत्तियों को काटता रहता है। जाला कीट के प्रकोप से गुच्छों में तब्दील होकर पत्तियां सूख रही हैं। जाला कीट कुछ दिनों में ही पेड़ों को नष्ट कर देते हैं, जिसमे बौर नही आता ओर पेड़ सूखने जैसे दिखने लगते है। जिसके बाद वह उन्हें नष्ट करना शुरू कर देता है। इन दिनों पेड़ों की पत्तियां सूख रही हैं। क्षेत्र के नैमिषारण्य, मछरेहटा, कुतुबपुर, जमुनापुर, आंट, पहला चौराहा, तेरवा, जरिगवां, संदना आदि क्षेत्र में मौजूद बागों में यह रोग तेजी से पांव पसार रहा है। इस संबंध में कृषि वैज्ञानिक वीके सिंह कहते हैं कि जाला कीट आधा से एक इंच लंबा होता है। इसकी रोकथाम के लिए बागवानों को ए•ाडीरेक्टिन 3000 पीपीएम ताकत का 2 मिली लीटर को पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए। इसके अलावा कुइनोलफास 0.05 फीसदी या मोनोक्रोटोफास 0.05 फीसदी का 2-3 बार छिड़काव करें। जिससे जाला कीट से बागों को बचाया जा सकता है।