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सामुदायिक शौचालय नहीं, सीमेंट गोदाम कहिए जनाब..

शौचालयों का किया जा रहा दुरुपयोग हर माह नौ हजार रुपये कागजों पर किए जा रहे खर्च।

By JagranEdited By: Published: Fri, 08 Oct 2021 11:30 PM (IST)Updated: Fri, 08 Oct 2021 11:30 PM (IST)
सामुदायिक शौचालय नहीं, सीमेंट गोदाम कहिए जनाब..
सामुदायिक शौचालय नहीं, सीमेंट गोदाम कहिए जनाब..

सीतापुर : ब्लाक की 106 ग्राम पंचायतों में स्वच्छ भारत मिशन से सामुदायिक शौचालयों का निर्माण किया गया है। एक शौचालय की लागत पौने छह लाख रुपये आई है। पूरे ब्लाक में करोड़ों रुपये खर्च किए गए हैं। मकसद था कि लोग शौचालय का प्रयोग करेंगे। वहीं, जिनके पास सुविधा नहीं थी, उनको इसका विशेष लाभ मिलेगा। लेकिन, जिम्मेदारों की अनदेखी व लापरवाही से मिशन का उद्देश्य प्रभावित हुआ है।

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106 शौचालय समूहों को हैंडओवर कर दिए गए। फिर भी कहीं ताला लटक रहा तो कहीं इनका दुरुपयोग किया जा रहा है। लेकिन किसी को इससे सरोकार नहीं है। वहीं हर शौचालय के संचालन पर प्रति माह छह हजार रुपये मानदेय व तीन हजार रुपये बिजली, साफ-सफाई व साबुन आदि पर खर्च किया जा रहा है। यह सब कागजों पर ही खर्च हो रहा है। अधिकारियों की अनदेखी से शौचालयों की उपयोगिता सार्थक नहीं हो पा रही है।

शौचालय में रखी जा रही सीमेंट :

पुरैना ग्राम पंचायत में सामुदायिक शौचालय महीनों पहले बन गया था। काफी समय तक इस पर ताला लटकता रहा। पड़ोस में पंचायत भवन बन रहा है। सीमेंट व निर्माण सामग्री शौचालय में रखी जा रही है। शौचालय की स्थिति बहुत खराब है। काम भी अधूरा है। फिर भी इसे हैंडओवर कर दिया गया। ऐसे में ब्लाक अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। किसी अधिकारी ने जानने की कोशिश नहीं की कि शौचालय का प्रयोग हो रहा है अथवा नहीं। वहीं, ग्रामीण खुले में शौच जाने को विवश हैं। ऐसे में स्वच्छ भारत मिशन की मंशा को चोट पहुंचाई जा रही है।

कुलदीप ने बताया कि सामुदायिक शौचालय बंद होने से लोग खुले में जा रहे हैं। ऐसे गंदगी तो फैलेगी ही। ब्लाक अधिकारियों की लापरवाही से शौचालय बंद पड़ा है। इसे चालू होना चाहिए, उल्टे निर्माण सामग्री रखने में उपयोग किया जा रहा है।

टीकाराम ने बताया कि शौचालय निर्माण का मकसद लोगों को खुले में शौच जाने से रोकना था। शौचालय बन गया है। लेकिन, लोगों को इसकी सुविधा नहीं दी जा रही। अंदर कार्य भी अधूरा है। कोई देखने सुनने वाला नहीं है।

तिलकराम ने बताया कि सामुदायिक शौचालय बनने के बाद से ऐसे ही पड़ा है। पंचायत भवन बगल में बनने लगा तो ताला खोलकर सीमेंट रखी जा रही है। महिला व पुरुष की व्यवस्था है। लेकिन, सुविधा से लोगों को वंचित रखा जा रहा है।

एडीओ पंचायत शैलेंद्र दीक्षित ने बताया कि ब्लाक में कुल 106 सामुदायिक शौचालय बने हैं। सभी स्वयं सहायता समूहों को हैंडओवर कर दिए गए हैं। अगर शौचालय बंद हैं और दुरुपयोग हो रहा है तो सचिव को नोटिस जारी कर कार्रवाई करेंगे।

यह भी जानें :

- ब्लाक की 106 ग्राम पंचायतों में बने हैं सामुदायिक शौचालय

- 106 शौचालय स्वयं सहायता समूहों को हैंडओवर किये जा चुके

- शौचालयों में महिला व पुरुष के लिए सुविधाएं उपलब्ध

- शौचालय के रखरखाव पर हर माह 3000 रुपये हो रहे खर्च

- शौचालय की देखरेख के लिए छह हजार रुपये मानदेय दिया जा रहा


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