बिसवां में चलेगा मुख्यमंत्री सुपोषण घर?
सीतापुर: जिले में अतिकुपोषित बच्चों की संख्या को देखते हुए शासन ने सीतापुर को बड़ी सौगात दी है। प्रदे
सीतापुर: जिले में अतिकुपोषित बच्चों की संख्या को देखते हुए शासन ने सीतापुर को बड़ी सौगात दी है। प्रदेश के जिन दस जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के तहत मुख्यमंत्री सुपोषण घर बनाए जाने हैं, उन जिलों में सीतापुर भी शामिल है। बिसवां तहसील स्थित सीएचसी में भी छह बेड़ का मुख्यमंत्री सुपोषण घर बनाया जाएगा। दरअसल नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे में छह फीसदी बच्चे अति कुपोषित की श्रेणी में आए थे। 0 से पांच साल तक के बच्चों में कुपोषण की बड़ी समस्या सामने आई थी।
प्रदेश में गंभीर तीव्र अति कुपोषित बच्चों की संख्या को देखते हुए शासन स्तर से जनवरी 19 से मार्च 2020 तक के लिए प्रदेश के कुछ जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के तहत मुख्यमंत्री सुपोषण घर बनाए जाने हैं। इनमें प्रदेश के दस जनपदों को शामिल किया गया। इसके में अति कुपोषित बच्चों को रखा जाएगा। उनकी मॉनीट¨रग कर 14 दिनों तक रख कर इलाज किया जाएगा। यदि इन चौदह दिनों में बच्चे की हालत में सुधार नहीं हुआ तो उनको जिला मुख्यालय पर स्थापित पोषण पुनर्वास केंद्र भेजा जाएगा। मुख्यमंत्री सुपोषण घर में जिन बच्चों की हालत में सुधार आ जाएगा, उनकी 15-15 दिनों में मॉनीट¨रग की जाएगी। मुख्यमंत्री सुपोषण घर का संचालन तो सीएचसी भवन में ही एक अलग से बनाए गए कक्ष में होगा। लेकिन उसका संचालन बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग द्वारा किया जाएगा। मुख्यमंत्री सुपोषण घर में बकायदा पूरा स्टाफ रखा जाएगा। इसके बेहतर ढंग से संचालन के लिए एक पोषण परामर्शदाता, तीन स्टाफ नर्स, तीन कुक कम केयर टेकर, एक क्लीनर, एक मेडिकल ऑफीसर, मुख्य सेविका व आंगनबाड़ी कार्यकत्री को भी शामिल किया जाएगा। ताकि कुपोषण का शिकार बच्चों की अच्छी तरह देखभाल व उनका उपचार हो सके। अभिभावक को मिलेगा पैसा
मुख्यमंत्री सुपोषण घर में अतिकुपोषित बच्चे को रखे जाने के पहले दिन उसके अभिभावक को सौ रूपये आने के किराए आदि के रूप में दिया जाएगा। उसके बाद उसे प्रतिदिन 50 रूपए खाने व 50 रूपये बच्चे के साथ रहने से परिश्रमिक हानि प्रतिपूर्ति के रूप में दिया जाएगा। 14 दिन बाद सौ रूपये बच्चे के अभिभावक को दिया जाएगा। साथ ही मुख्यमंत्री सुपोषण घर में रहने के दौरान बच्चे के लिए खिलौने, सफाई आदि की भी बेहतर व्यवस्था की जाएगी।