अस्पतालों में सावन माह से पूर्व एंटी स्नेक वेनम उपलब्ध, सांप काटने पर पहुंचें अस्पताल
बरसात में सर्प दंश घटनाएं ज्यादा हो रही हैं। ऐसे दर्जनों गांव हैं जहां सर्प दंश के बाद लोग झाड़-फूंक पर ही ज्यादा भरोसा करते हैं। चिकित्सीय व्यवस्था की याद उन्हें तब आती है जब पीड़ित के हालात काबू करने लायक नहीं होते।
जागरण संवाददाता, बलिया। बरसात में सर्प दंश घटनाएं ज्यादा हो रही हैं। ऐसे दर्जनों गांव हैं, जहां सर्प दंश के बाद लोग झाड़-फूंक पर ही ज्यादा भरोसा करते हैं। चिकित्सीय व्यवस्था की याद उन्हें तब आती है जब पीड़ित के हालात काबू करने लायक नहीं होते। यही वजह है कि बलिया में 2020 में दो दर्जन लोगों की मौत सर्प दंश से हुई है। इतनी मौतों के बीच सेहत महकमा एंटी स्नेक वेनम की पर्याप्त उपलब्धता की बात कह रहा है, हर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर इस समय 50 से अधिक वायल मौजूद हैं।
एक घंटे में पहुंचिये अस्पताल, बचाई जा सकती है जान : सीएमओ डा. राजेंद्र प्रसाद ने बताया कि सर्पदंश के बाद एक घंटे मेें पीड़ित को अस्पताल पहुंचाना जरूरी होता है, ऐसे में उसकी जान बचायी जा सकती है। 18 सीएचसी पर एंटी स्नेक वेनम उपलब्ध हैं। बहुत से लोग पहले झाड़-फूंक कराते हैं। हालात बिगड़ने पर पीड़ित को लेकर अस्पताल पहुंचते हैं।
सर्प दंश से मौत पर स्वजनों को मिलेंगे चार लाख रुपये : प्रदेश सरकार ने अब सर्पदंश से मौत पर स्वजनों को चार लाख रुपये की आर्थिक मदद करने का पत्र जारी किया है। बलिया समेत प्रदेश के सभी डीएम को पत्र जारी किये गये हैं। मृतक के आश्रितों को घटना के सात दिनों के भीतर मुआवजा राशि मिलेगी। सिर्फ पोस्टमार्टम रिपोर्ट अनिवार्य होगा। बिसरा रिपोर्ट का इंतजार नहीं करना पड़ेगा।
सर्प के दांत में नहीें होते विष : जिला अस्पताल के चिकित्सक डा. मिथिलेश सिंह ने बताया कि सांपों के दांतों में विष नहीं होते। ऊपर के छेदक दातों में विष ग्रंथि होती है। ये दांत कुछ मुड़े होते हैं। सर्प दंश के समय जब दांत धंस जाते हैं तब उन्हें निकालने के प्रयास में सांप अपनी गर्दन ऊपर कर झटके से खींचता है। उस दौरान विष निकल कर काटे स्थान तक पहुंच जाता है।
सर्प दंश के लक्षण : दंश स्थान पर तीव्र जलन, तंद्रालुता, मिचली वमन, अंग घात, अवसाद व अनैच्छिक मल-मूत्र त्याग आदि।
सर्प दंश के मामलों में तत्काल क्या करें : सर्प दंश स्थान से कुछ ऊपर रस्सी, रबर या कपड़े से ऐसे कस कर बांधें कि धमनी का रक्त प्रवाह थम जाए। सांस रूकने पर कृत्रिम श्वसन का सहारा लें। अस्पताल पहुंचकर सर्प दंश का इंजेक्शन लें और उपचार कराएं।