खाली बसें और लखनऊ.. लखनऊ.. की आवाजें
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सीतापुर : पूर्वाह्न के 11 बजने को थे..शहर के रोडवेज बस अड्डा से लेकर बाहर रोड तक लखनऊ जाने वाली बसों का जमावड़ा था..परिचालक लखनऊ..लखनऊ..लखनऊ..की आवाज लगा रहे थे। वहीं कई बसें पूरी तरह खाली थीं..सवारियों को लेकर परिचालकों की परेशानी उनके चेहरे से स्पष्ट हो रही थी। कुछ बसों में 10-12 यात्री बैठे थे, तो कुछ में 5-6 थे। पीछे लाइन में लगी बसों को बाड़े से निकलने की जल्दी थी..जबकि आगे वाली बस में सवारियों का अभाव था। पीछे वाली बसों के परिचालकों की जल्दी और आगे लगी बस में सवारियों के अभाव में परिचालकों को परेशान होना स्वाभाविक भी था।
20 प्रतिशत घट गई एमएसटी
सीतापुर-लखनऊ के बीच रेल सेवा शुरू होने के बाद रोडवेज बसों की कमाई पर व्यापक असर देखा जा रहा है। एक तो सवारियां नहीं मिल रही हैं, दूसरे आर्थिक घाटा भी शुरू हो गया है। रोडवेज बस सेवा से सीतापुर कार्यालय को रोजाना 18-20 लाख रुपये की इनकम होती थी। अब कर्मियों को उम्मीद है कि अधिकतम 13-14 लाख रुपये की कमाई हो पाएगी। रोडवेज स्टाफ के मुताबिक रेल सेवा के बाद अब 15-20 प्रतिशत यात्रियों का अभाव हो गया है। 20 प्रतिशत एमएसटी भी कम हुई है। वर्तमान में कैसरबाग तक की एमएसटी की संख्या 150 है। सीतापुर-लखनऊ रोडवेज का किराया 98 रुपये है, जबकि लखनऊ जंक्शन तक पैसेंजर रेल का 25 व एक्सप्रेस का 45 रुपये है। सीतापुर बाड़े में निगम की 108 व अनुबंधित 80 बसें हैं। निगम अधिकारियों का कहना है कि यही रहा तो अनुबंधित बसों की संख्या कम की जाएगी।
बोले एआरएम..
व्यक्ति टाइम को पैसे से ऊपर रखे है। ऑफिस जाने वाले यात्री रेल की सेवा लेंगे, जबकि बिजनेसमैन व इमरजेंसी वाले यात्री रोडवेज बसों की ही सेवा लेंगे ये हमें विश्वास है। जहां तक रही बात अनुबंधित बसों की तो इनके लिए दूसरे मार्ग खोजे जाएंगे या फिर कम इनकम देने वाली बसों की संख्या कम की जाएगी।
- विमल राजन, सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक-रोडवेज