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पहले पड़ाव पर प्रशासन का नहीं, भगवान का भरोसा

सीतापुर : तीर्थ से 16 फरवरी को 84 कोसीय परिक्रमा पहले पड़ाव के लिए रवाना होगी। परिक्रम

By JagranEdited By: Published: Fri, 19 Jan 2018 10:19 PM (IST)Updated: Fri, 19 Jan 2018 10:19 PM (IST)
पहले पड़ाव पर प्रशासन का नहीं, भगवान का भरोसा
पहले पड़ाव पर प्रशासन का नहीं, भगवान का भरोसा

सीतापुर : तीर्थ से 16 फरवरी को 84 कोसीय परिक्रमा पहले पड़ाव के लिए रवाना होगी। परिक्रमा को लेकर प्रशासन स्तर से चल रही तैयारियां काफी सुस्त हैं। ऐसे में आने वाले लाखों श्रद्धालुओं को दिक्कतों के बीच से गुजरना तय है।

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पहला आश्रम महंत भरत दास पहले दिन सुबह परंपरागत रूप से डंका बजाकर श्रद्धालुओं को रवाना करते हैं। तीर्थ के मंदिरों में शीश नवाते हुए श्रद्धालु पहले पड़ाव कोरौना के लिए प्रस्थान करते हैं। इस दौरान रामादल में शामिल श्रद्धालु कुनेरा तीर्थ में स्नान, आचमन करते हुए पास स्थित भगवान भोलेनाथ के मंदिर में दर्शन करते हैं, फिर रात्रि विश्राम के लिए कोरौना प्रस्थान करते हैं। यहां श्रद्धालुगण द्वारिकाधीश मंदिर के पास स्थित तीर्थ में आचमन, स्नान करते हैं। मंदिर से कुछ दूर स्थित प्राचीन वाराह कूप का दर्शन करते हैं। इसके बाद रामादल दूसरे पड़ाव हरदोई जनपद स्थित हरैया के लिए प्रस्थान करता है।

निर्माणाधीन है परिक्रमा मार्ग

नैमिषारण्य से पहले पड़ाव कोरौना को जाने वाला अभी तक निर्माणाधीन है। मार्ग पर अभी भी कई किलोमीटर तक मार्ग बनना शेष है। मार्ग पर पत्थर पड़े हुए हैं। इसी तरह कुनेरा के पास भी सड़क निर्माणधीन है। बहरहाल परिक्रमा शुरू होने तक मार्ग बन जाते तो सुविधा रहती, अन्यथा पत्थरों पर नंगे पाव चलने में परिक्रमार्थियों को बहुत दिक्कतें होंगी।

सूखा है कुनेरा का तीर्थ

पहले पड़ाव के मार्ग में पड़ने वाला कुनेरा तीर्थ भी सूखा पड़ा है। श्रद्धालु इसमें स्नान, आचमन करते हैं। वर्तमान में सूखा होने से श्रद्धालुओं को दिक्कतें होंगी। तीर्थ के आसपास गंदगी है। तीर्थ अभी भी तालाबनुमा बना हुआ है। परिक्रमा के समय प्रशासन इसमें पानी भरवाता है, लेकिन अभी तक सफाई शुरू नहीं की गई है।

बदहाल है यज्ञ वाराह कूप

पहले पड़ाव कोरौना के निकट स्थित यज्ञ वाराह कूप बदहाल है। श्रद्धालु इसके दर्शन करते हैं। कूप बदहाल स्थिति में है। आसपास भूमि भी धस रही है। पेड़ पौधे व झाड़ियां उगी हैं। प्राचीन कूप जाने के मार्ग पर किसानों के खेत हैं। उन्होंने कटीले तार लगा रखे हैं। आसपास काफी अतिक्रमण है। इस कूप को जाने वाला रास्ता ही गुम होता जा रहा है।

द्वारिकाधीश तीर्थ

कोरौना स्थित द्वारिकाधीश तीर्थ में पानी नाम मात्र है। ऊपर से इसमें जलकुंभी व पेड़ पौधे उगे हैं। तीर्थ काफी गंदा है। श्रद्धालु इसमें स्नान, आचमन करते हैं। अभी तक इसकी साफ सफाई नहीं कराई गई है। तीर्थ के जीर्णोद्धार की आवश्यकता नहीं समझी गई। रात्रि विश्राम स्थल पर भी सफाई नहीं करवाई गई।

अभी तक नहीं बना रैन बसेरा

कोरौना पड़ाव पर परिक्रमार्थियों के लिए अभी तक रैन बसेरा का काम शुरू नहीं हो सका है। जिसके कारण पूर्व में रैन बसेरे के लिए चिन्हित भूमि का तहसील अभिलेखों में तालाब के रूप में दर्ज होना बताया जाता है। फिलहाल यहां परिक्रमार्थियों के रात्रि निवास के लिए पक्के रैन बसेरा की सुविधा नहीं है। यहां के बाग और खेतों में किसानों ने कटीले तार लगा रखे हैं। इससे परिक्रमार्थियों के लिए यहां रात्रि विश्राम काफी कठिन होगा।


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