हरैया पड़ाव पर मुश्किलों का बसेरा
84 द्मश्रह्यद्धद्ब श्चह्मद्बद्मह्मद्वड्ड 84 द्मश्रह्यद्धद्ब श्चह्मद्बद्मह्मद्वड्ड 84 द्मश्रह्यद्धद्ब श्चह्मद्बद्मह्मद्वड्ड
योगेश पांडेय, गोंदलामऊ (सीतापुर) : 84 कोसी परिक्रमा 23 फरवरी से शुरू हो रही है। इसमें हजारों श्रद्धालु शामिल होंगे। पहले पड़ाव के बाद दूसरे पड़ाव हरैया में अव्यवस्थाओं का बसेरा है। जिम्मेदार खामोश हैं। परिक्रमा मार्गों की दशा खराब है। प्रस्तुत है रिपोर्ट-
हाल रैन बसेरा का..
एक साल पहले बने दो मंजिला रैन बसेरा की दीवारों पर व छत में दरारें पड़ गई हैं प्लास्टर छूट रहा है। छत भी टपकती है कहीं-कहीं छत बैठ गई है। छत के पानी का निकास नहीं है। फर्श उखड़ रही है। शौचालय टूटे हैं। रैन बसेरा काफी ढलान में है। पक्के मार्ग से दो-तीन फिट नीचे रैन बसेरा होने से बारिश के समय इसमें जल भराव हो जाता है। इस रैन बसेरा में भूतल पर चार और प्रथम तल चार कुल आठ कमरे हैं। आठ शौचालय व मूत्रालय हैं। दोनों तलों पर एक-एक बरामदा व किचन है। रैन बसेरा को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि इसकी लंबे समय से सफाई नहीं हुई है। कमरों में मकड़ी का जाला है। रैन बसेरा परिसर में इंटरलॉकिग भी नहीं है। रैन बसेरा में पानी सप्लाई के लिए मोटर लगा है। छत पर चार टंकियां हैं, जिनमें तीन टंकियों में पानी नहीं पहुंचता है। चूंकि परिक्रमाíथयों की संख्या के मुताबिक ये रैन बसेरा पर्याप्त नहीं है। इसलिए हजारों परिक्रमार्थी पड़ाव स्थल से करीब 200 मीटर दूर गोमती नदी तट पर डेरा डालते हैं।
बिजली व्यवस्था..
रैन बसेरा के कमरों में पंखे व लाइटें लगी हैं। इन उपकरणों में आधे से अधिक खराब हैं। लाइटें लटक गई हैं। परिसर में 13 पोल लगे हैं। किसी भी पोल में एक अदद लाइट तक नहीं लगी है। खंभों के तार भी टूट गए हैं जमीन पर पड़े हैं। शाम होते ही यहां अंधेरा हो जाता है। कैलाश आश्रम में 14 वर्ष तक के लिए राम-नाम जाप चल रहा है। आश्रम में बिजली व्यवस्था नहीं है। परिसर में लगाई गईं सोलर लाइट कई महीने से खराब हैं। इसलिए जाप करने वाले भक्त निजी तौर से प्रकाश का इंतजाम करते हैं। तीर्थ का पानी आचमन लायक नहीं है।
- राधेदास, महंत-कैलाश आश्रम हरैया पड़ाव के महंत बनवारी दास ने बताया कि एक साल पहले ही दो मंजिला रैन बसेरा बना है, जो जर्जर हो गया है। बारिश का पानी कमरों में भरता है। टंकी के पानी के अलावा रैन बसेरा में पानी की व्यवस्था नहीं है। रैन बसेरा की लाइट खराब हैं। ये रैन बसेरा परिक्रमाíथयों के लिए प्राण घातक बन गया है।
- बनवारी दास, महंत-हरैया पड़ाव