संतान की दीर्घायु के लिए माताओं ने रखा उपवास
सिद्धार्थनगर : माताओं ने हलषष्ठी व्रत रखकर कुश पौधे का पूजन करते हुए बुधवार को अपने-अपने पुत्रों की दीर्घायु के लिए प्रार्थना की। पूरे जनपद में महिलाओं ने यह पर्व मनाया।
मान्यता है कि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम जी का जन्म हुआ था। इसे बलराम जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष षष्ठी को यह त्योहार पड़ता है। भगवान बलराम का मुख्य शस्त्र हल तथा मूसल है। हल धारण करने के चलते ही बलरामजी को हलधर भी कहते हैं। यह देवकी और वासुदेव जी की सातवीं संतान थे। इस दिन खासतौर से किसान वर्ग भी पूजा करते हैं। हल, मूसल और बैल की पूजा होती है। इसी लिए व्रती महिलाएं हल से जुते हुए खेत का अनाज व सब्जियों उपयोग नहीं करतीं। सिर्फ तिन्नी चावल, महुआ, साग और दही का सेवन इस व्रत में होता है। भनवापुर, भारतभारी, भवानीगंज, मन्नीजोत में भी त्योहार श्रद्धा के साथ मनाया गया। बांसी नगर स्थित राम जानकी मंदिर पर माताओं की भीड़ उमड़ पड़ी। मंदिर के महंत हनुमान दास ने व्रती महिलाओं को ललही छठ व्रत कथा का पान कराते हुए कहा कि धार्मिक मान्यता अनुसार आज के ही दिन वसुदेव जी की बड़ी पत्नी रोहिणी माता के गर्भ से बलराम जी का जन्म हुआ था। महंत हनुमान दास नागा ने बताया कि आज के दिन पूरे बांसी नगर की हजारों की संख्या में महिलाएं अपने पुत्र के दीर्घायु जीवन की कामना के लिए मंदिर प्रांगण में लगे हुए कुश की पूजा करती हैं और अपने पुत्र के दीर्घायु एवं कुशल जीवन के भगवान से कामना करती हैं। जिसकी व्यवस्था में शासन-प्रशासन और समाजसेवियों का बहुत अच्छा सहयोग रहता है।