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दिनभर बूंदाबांदी के साथ चली ठंड हवा

इस बार का शीतकालीन मौसम एक अबूझ पहेली बनकर रह गया है। एक दिन पहले सूर्य बाहर निकले। रात को घना को कोहरा छाया रहा। गुरुवार को सुबह जब लोगों की नींद खुली तो आसमान पर घने काले बादल छाए हुए थे। मध्यम गति से हवा बह रही थी। कुछ देर में बूंदाबांदी शुरू हो गई।

By JagranEdited By: Published: Thu, 16 Jan 2020 10:23 PM (IST)Updated: Thu, 16 Jan 2020 10:23 PM (IST)
दिनभर बूंदाबांदी के साथ चली ठंड हवा
दिनभर बूंदाबांदी के साथ चली ठंड हवा

सिद्धार्थनगर : इस बार का शीतकालीन मौसम एक अबूझ पहेली बनकर रह गया है। एक दिन पहले सूर्य बाहर निकले। रात को घना को कोहरा छाया रहा। गुरुवार को सुबह जब लोगों की नींद खुली तो आसमान पर घने काले बादल छाए हुए थे। मध्यम गति से हवा बह रही थी। कुछ देर में बूंदाबांदी शुरू हो गई। जो पूरे दिन जारी रही। लोग घरों में कैद रहे। दुकानों, बैंकों, सरकारी दफ्तरों में रोजाना की अपेक्षा भीड़ कम रही।

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इस बार मौसम का रूख लोगों को समझ में नहीं आ रहा है। ठंड से बेहाल लोगों को राहत की सांस नहीं मिल रही है। इस मौसम में तीसरी बार हुई बारिश से पारा एक बार फिर नीचे लुढ़क गया है। इस बारिश से खेती को लाभ और हानी दोनों हुई है। मध्यम गति की हवा ने नुकसान को बढ़ाने का काम किया है। किसानों का कहना है कि बारिश से गेहूं की फसल को फायदा, वहीं तिलहन व सब्जियों की फसल के लिए नुकसान होने की आशंका है। गेहूं की सिचाई करने से राहत मिल गई है। अगैती सरसों और मटर के फूल हवाओं के चलते गिर गए। आलू के साथ ही अन्य फसलों में नुकसान होने की संभावना बढ़ गई है। कहीं-कहीं गेंहू के पत्ते भी पीले होने लगे हैं। किसान बालकदास, कृष्ण कुमार, रवींद्र, मन्नू, लालमन आदि का कहना है कि आलू की खेती को अब नुकसान पहुंचने लगा है।

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कड़ाके की ठंड में किसानों के छूट रहे पसीने

इटवा : ठंड के मौसम में बेसहारा पशुओं ने किसानों का जीना मुहाल कर दिया है। सैकड़ों की संख्या में पशुओं का झुंड फसलों को बर्बाद कर रहा है। किसान ठंड भरी रातों में खेतों की रखवाली कर रहे हैं। जिससे इस मौसम में भी उनके पसीने छूट रहे हैं। खेत की रखवाली में सेमरा गांव में एक किसान की मौत भी हो चुकी है। क्षेत्र के पहाड़ापुर, पुरैना, पिपरा, मधवापुर, अमौना आदि गांवों में किसानों का सुख चैन छिन गया है। बेसहारा पशुओं का झुंड खेतों में फसल को नष्ट कर रहे हैं। पहाड़ापुर निवासी इमरान कहते हैं कि फसलों की सुरक्षा ऊपर वाले के भरोसे है। पुरैना निवासी संजय कुमार कहते हैं कि खेतों में रात को कई बार फसलों की निगरानी करने जाना पड़ता है, इसके बाद भी फसलें बच नहीं रही हैं। एसडीएम इटवा विकास कश्यप ने कहा कि कुछ गो आश्रय केंद्र संचालित होने वाली है। शीघ्र ही पशुओं को वहां रखने की व्यवस्था कराई जाएगी।


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