विद्यालय खुलेंगे तो शुद्धजल को भटकेंगे बच्चे
गर्मी के साथ स्कूलों में पेयजल का संकट गहरा गया है। जुलाई में प्राथमिक विद्यालयों के खुलते ही पानी के बिना बच्चे हलकान होंगे। पहले भी पानी के लिए उन्हें गांव में लोगों के मकानों पर लगे हैंडपंपों का सहारा लेना पड़ता था।
सिद्धार्थनगर : गर्मी के साथ स्कूलों में पेयजल का संकट गहरा गया है। जुलाई में प्राथमिक विद्यालयों के खुलते ही पानी के बिना बच्चे हलकान होंगे। पहले भी पानी के लिए उन्हें गांव में लोगों के मकानों पर लगे हैंडपंपों का सहारा लेना पड़ता था। जिम्मेदारों की अनदेखी से खराब पड़े एक दर्जन विद्यालयों के नल से छात्रों की प्यास कैसे बुझेगी यह सवाल लोगों के जबान पर है।
विकास खंड में प्राथमिक व जूनियर मिलाकर कुल 227 विद्यालय स्थापित हैं। वर्तमान में दो दर्जन से अधिक विद्यालयों के हैंडपंप पूरी तरह अस्तित्व विहीन हो चुके हैं। जहां लगे भी हैं वहां दूषित जल देने की शिकायतें आम हैं। खुद बीआरसी के अनुसार 163 प्राथमिक विद्यालयों में मात्र एक दर्जन ही विद्यालय ऐसे हैं जहां इंडिया मार्का हैंडपंप मानक के अनुसार लगे हैं। अधिकांश को तो कम बोर पर ही बांध दिया गया है। नतीजतन नलों से दूषित पानी निकल रहा है। कम्हरिया स्थित प्राथमिक विद्यालय में स्थापना काल के समय जो हैंडपम्प लगा था अब वह गायब हो चुका है। उसकी सिर्फ पाइप ही लगी दिखाई पड़ रही है। हंसवापार प्राथमिक विद्यालय पर लगे इंडिया मार्का हैंड पंप का ऊपर का हिस्सा एक वर्ष से गायब है। इन दोनों विद्यालयों के बच्चों को गांव के घरों पर लगे नलों से अपनी प्यास बुझानी पड़ती है। यही स्थिति पूर्व माध्यमिक विद्यालय रमवापुर दूबे सहित सिकटा, मध्य नगर, बरगदी, पाला, बघनी नानकार, मुड़ार व तुरसिया आदि प्राथमिक विद्यालयों की भी है, यहां नल या तो बेपानी हैं या दूषित जल देने से बच्चे प्यासे भटकते हैं। खंड शिक्षा अधिकारी पंकज मौर्या का कहना है कि लिखित सूचना जल निगम को दी गई है पर अभी तक स्थिति वैसी ही है।